मिला-जुला परिवार – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

कितनी खुश थी कुहू आज, आखिर उसकी शादी उसके मनपसंद साथी आखर से हो रही थी। शादी कर ससुराल आई, तो सबसे पहले पग- पडा़ई के रस्म में उसे परिवार के सभी सदस्यों से मिलवाया गया। सबसे पहले ददिया सास-ससुर, फिर उसके सास ससुर, फिर जेठ जी और जेठानी जी और उनके साथ ही थे … Read more

 बड़े होने का फ़र्ज़ – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

भाई साहब के क्रियाकर्म के पश्चात घर लौटे कीर्तन जी निढ़ाल हो चारपाई पर बैठ गए। पत्नी सुशीला जब पानी का गिलास लेकर बोली, “लीजिए” तो वर्तमान में लौटे। सुशील जी से नज़रें मिलते ही आंखों में दो आंसू कीर्तन जी के न चाहते हुए भी लुढ़क ही गए।  सुशीला जी कुर्सी सरकाकर पास बैठते … Read more

 नया सफर – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

रह रहकर सास संयोगिता के शब्द मनुस्मृति के कर्ण पटल भेद रहे थे, “मुझे तकलीफ देकर तू कभी सुखी नहीं रह सकती”। पर सब अनदेखा कर वो अपना सामान बांध अपने बच्चों के साथ निकल गई नए जीवन के सफर पर। मनुस्मृति शादी कर ससुराल आई तो सब ठीक ठाक ही लगा उसे पर धीरे … Read more

नमक मिर्च लगाना – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

सुषमा जी की बेटी कृति आने को है, गर्मियों की छुट्टियों में, अपने दोनों बच्चों संग।बेटी का ससुराल दूर होने के कारण पूरे साल सुषमा जी इस समय का इंतेज़ार करती हैं। अपने उम्र के हिसाब से सुषमा जी काम या व्यवहार में बहू के साथ भी कोई कमी नहीं रखती, वैसे भी बेटा और … Read more

आम की कहानी उसी की ज़ुबानी!! – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

सालों पुराने आम के पेड़ का नया पड़ोसी आया, एक नया खिला लाल गुलाब सुकुमार पर उदास।आकर थोड़ी देर इधर उधर नजर घुमा कर बोला आम बाबा! मेरे सारे दोस्त नर्सरी में छूट गए, बिल्कुल मन नहीं लग रहा, कोई कहानी सुनाओ न! आम बाबा मुस्कुरा कर बोले, “बेटा!ये संसार स्वार्थी है। जहां रहो अपना … Read more

स्त्रियां कहां बुद्ध हो पाती हैं!! – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

सीमा जी  शाम को टहलने पार्क निकली तो देखा सोसाइटी की सभी महिलाएं झुंड बनाकर चर्चा में व्यस्त थी। सीमा जी 3 महीने बाद बेटी के पास से अमेरिका रहकर लौटी थी। पहुंचते ही उन्हीं के ब्लॉक की सत्यवती बोली, “और बताइए कैसा रहा बेटी के यहां का विदेश भ्रमण?” वे कुछ कह पाती उससे … Read more

सपनों का महल – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

प्रेक्षा जब भी अपनी सजी संवरी, गहनों से लदी बुआ को देखती, कहती माँ मैं भी बुआ जैसे ही घर में शादी करूंगी, देखो न बुआ की जिंदगी में ऐश ही ऐश है। और न जाने कब उसकी जुबां पर देवी सरस्वती बैठी।बुआ इस बार रक्षा बंधन पर आई तो बोली, मेरी चाची सास का … Read more

पिपासा – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

#आँखों में खटकना  रंभा के स्कूल से आते ही आठ साल के तन्मय ने अपना हाथ दिखाते हुए कहा,” मम्मी, बंसी दीदी ने मारा और नाखून भी चुभा दिए। रंभा का अंदर से जी ज़ार ज़ार रो रहा था। हे भगवान! क्या करूं इस लड़की का। कौन कहदे, पांच साल बड़ी सगी बहन है। क्या … Read more

वितृष्णा – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

आँगन में पहला कदम रखते ही जैसे वक्त की धूल झाड़ कर पुराने दृश्य मेरी आँखों के सामने उभरने लगे। वही आँगन, वही तुलसी चौरा, और वही कोना जहाँ अक्सर बैठकर दादी रामायण पढ़ा करती थीं। पर सबसे पहले जो चेहरा सामने उभरा, वो था उस झीनी फ्रॉक वाली लड़की का। झीनी गुलाबी फ्रॉक में … Read more

प्रेम का प्रतीक हरसिंगार – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

पारिजात और प्राजक्ता, कॉलेज में सिर्फ नाम का एक ही अर्थ होने की वजह से ही तो बस जान पहचान हुई थी दोनों की और फिर धीरे धीरे गहरी दोस्ती।  जहां पारिजात सौम्य, समझदार,शांत और संतुलित था वहीं प्राजक्ता चंचल, शौख, बातूनी और खुशमिजाज। पर कभी प्यार मोहब्बत जैसा कुछ नहीं हुआ बस सोहबत ही … Read more

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