“उनके जैसी” – ऋचा उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

    “आज माँ की पार्टी की इतनी ज़रूरी मीटिंग है, चुनाव में नामांकन का पर्चा दाखिल करना है, उस पर से उन्हें कमज़ोरी भी लग रही है, सुनंदा तुम तुरंत वापस आओ, बार बार माँ तुम्हे ही बुला रही हैं”।    “क्या हुआ अनुराग! सुबह तक तो वो बिल्कुल ठीक थीं। बस मेरा नाम बुलाया जाने वाला … Read more

सोच – ऋचा उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

 नमस्कार मुकुंद भैया!! अपनी रीना बिटिया के लिए कोई अच्छा रिश्ता बताइएगा ।आपकी रिश्तेदारी में तो सुना है बहुत अच्छे-अच्छे लड़के हैं।मंजू दी ने कहा।     मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा ज़रूर मंजू दी ,बस आपको कैसा लड़का चाहिए ये बता दीजिए मैं ध्यान में रखूंगा।   अरे भाई साहब हम मध्यमवर्गीय परिवार वाले ज्यादा नहीं सोचते। … Read more

समधनों का घर – ऋचा उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

  “अम्मा आप न कमरे से बाहर मत निकालिएगा मेरी सहेलियाँ आ रही हैं आप बिल्कुल मिसफिट हो जाती हैं उनके बीच”, रिया ने ज़ोर से अपनी सीधी सादी सरल हृदया सास कमला जी को बोला।    “ममा आप अच्छे से रेडी हो जाओ मेरी फ्रेंड्स भी तो देखें कि मेरी ममा अपनी इकलौती बेटी के साथ … Read more

मेरा अपराधी – ऋचा उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

चार भाइयों की दुलारी चंदा दीदी , उनकी आज्ञा के बिना मायके में पत्ता भी नहीं हिलता था क्योंकि ससुराल में तीन दबंग ननदों के सामने उनकी एक न चलती। वैसे वो अपनी ननदों की भी नहीं चलने देतीं पर बेवजह की लड़ाई झगड़े और बहस से त्रस्त ससुराल का सारा गुस्सा मायके आकर उतारतीं … Read more

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