तीन जोड़ी भूखी आंखें – रेणु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

“अरे मन्नी, आज चटनी मत बनइयो  री। वह दो नंबर वाली के महीने भर की मलाई इकट्ठी हो गई है। कल उसका दही भी जमा दिया। अभी जाकर उससे घी  निकालना है। खूब बड़ा भगोना भरकर छाछ  लाऊंगी आज तो।  दस रुपयों  का बेसन और पांच पांच रुपयों का जीरा और  साबुत लाल मिर्च ले … Read more

प्रायश्चित – रेणु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

हनी ने एयरपोर्ट पर भारी मन से अपनी मौम और डैड से हाथ हिला कर विदा ली। उनके एयरपोर्ट के भीतर जाते ही उसके मन का सारा संताप अश्रुधारा के रूप में उसकी आँखों की राह बह निकला। बड़ी ही मुश्किल से अपने आप को संयत कर वह एयरपोर्ट से बाहर आई। वहाँ से घर … Read more

आस- रेणु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

“सिया बेटा अब तुम्हें ऐक्सेप्ट करना ही होगा कि वरुण अब ताजिंदगी बेड रिडेन रहेगा। तुम्हारे सामने पूरी जिंदगी पड़ी है, तुम एक ऐसे इंसान के साथ ज़िंदगी कैसे बिता सकती हो जो न बोल सकता है, न चल फिर सकता है, जिसके ठीक होने की उम्मीद ना के बराबर है।”                  “मैंने नेट पर पढ़ा … Read more

वो फरिश्ता – रेणु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

“अंकल, आपने आज राखी क्यों नहीं बांधी? देखिये, मैंने कितनी सारी राखियां बाँधीं हैं। ये अनु  दीदी की, ये तनु  दीदी की, वो ना अंकल, दिल्ली में रहती हैं। और अब मेरी छोटी बहन भी मुझे  राखी बांधेगी। भगवानजी  ने मुझे एक छोटी बहना का गिफ्ट दिया है आज,” मेरे पाँच वर्षीय बेटे किंशुक ने … Read more

ग्लानि – रेणु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

दोपहर का खाना पीना निपटा, नौकरानी को घर भेज अंजुरी तनिक कमर सीधी करने लेट गई और कुछ ही देर में वह गहन निद्रा के आगोश में समा गई।  कब न जाने किस अबूझ  अनुभूति वश वह अचानक जाग गई और अपनी आंखों के समक्ष सुदूर बंगाल में रहने वाली अपनी सहोदरा पाखी को देख … Read more

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