साॅरी दीदी – रेनू दत्त : Moral Stories in Hindi

वीनू दीदी की आज बहुत याद आ रही है। मेरे अंतस के किसी गहन कक्ष में एक अदालत बन गई है जहां जज, वादी, प्रतिवादी, गवाह सब मैं ही हूं। दीदी मुझसे चार साल बड़ी थी। उजले सूरज सा खिलता रंग, फुर्सत में बनाए गए नैन नक्श और उस पर सौम्यता की ऐसी परत कि … Read more

हमारे यहां औरत जात की ना चलती- रेनू दत्त : Moral Stories in Hindi

सुबह के सात बजे थे। ट॔ग ट॔ग …बाबूजी के कमरे से दो बार घ॔टी की आवाज आई। सहायिका मीना उधर जाते जाते ठिठक कर बोली ” दीदी साब आपको बुला रे हैं। ,” आज बेटी मिनी का दूसरी कक्षा का रिजल्ट है ,आफिस से पहले उसके स्कूल भी जाना है। तेजी से हाथ में घडी … Read more

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