सासु माँ ससुर जी से कहिए सब्ज़ियाँ लाने को – रश्मि प्रकाश  : Moral Stories in Hindi

“ सुनो जी तुम ना कल से बाज़ार जाकर सब्ज़ियाँ ले आया करो।” सुनंदा जी ने पति  राजेश्वर जी से धीमे स्वर में कहा  “ अम्मा यार अब इस उम्र में भी सब्ज़ी बाज़ार दौड़ाती फिरोगी…अब तो निकुंज को सब्ज़ी लाने की ज़िम्मेदारी दो।” राजेश्वर जी ने थोड़ा तल्ख़ अंदाज़ में कहा  “ वो तो … Read more

 माँ तो माँ होती है – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ सुन रही हो माँ की तबीयत बहुत ख़राब है अब उनके बचने की उम्मीद जरा भी नहीं है…. भैया कह रहे थे एक बार आकर उन्हें देख लो ।”कुन्दन अपनी पत्नी रूचि से कह रहा था जिसकी आँखों में आँसू और आवाज़ में कंपन रूचि महसूस कर रही थी  “ तुम्हें क्या लगता है … Read more

संयुक्त परिवार में  बिटिया नहीं ब्याहना … – रश्मि प्रकाश 

हरीश जी और गायत्री अपनी इकलौती बेटी काव्या की शादी के लिए परेशान थे और बहुतेरे घर ,परिवार और लड़का देखने के बाद भी उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था… कहीं परिवार पसंद नहीं आ रहा था तो कहीं लड़का नहीं जम रहा था…।  बहुत सोच विचार और खोज बीन करने के बाद एक … Read more

बेटे की माँ बनना ही काफ़ी नहीं है… – रश्मि प्रकाश  : Moral Stories in Hindi

“ये क्या बेटा  बाहर से आए हो कपड़े तो बदल लो… आते ही आराम कुर्सी पर आराम फ़रमाने लगे… देखरही हूँ दिन प्रतिदिन तुम बिगड़ते जा रहे हो।” ग़ुस्से में नयना अपने बेटे आदि के कपड़े बदलने की जुगत करती बोली  तभी उसने देखा देवरानी अदिति की बेटी इरा खुद ही कपड़े बदल कर अपनी … Read more

ये दिखावा है या प्यार …? – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

कभी कभी ज़िंदगी ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है कि सामने  मनपसंद दृश्य देख कर भी दिल भयभीत हो उठता है… मन घबराने लगता है ऐसा लगता है मानो ना जाने अब कौन सी गलती हो जाएगी और ……राशि सामने का दृश्य देख कर यही सब सोच रही थी कि उसके पति निकुंज … Read more

आख़िर ऐसे कब तक चलेगा….. – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ कितनी बार कहा है निकुंज मुझे तुम ये वक़्त बेवक्त लाल गुलाब का फूल या गुलदस्ता लाकर मत दिया करो…. ।”राशि निकुंज के हाथों को झटकते हुए बोली जो बड़े प्यार से उसके लिए लाल गुलाबों का गुलदस्ता लेकर आया था  “ वो क्या है राशि …जब भी ऑफिस से आते वक़्त….ट्रैफ़िक सिग्नल पर … Read more

तारीफ़ से पैसे नहीं मिलते… – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“क्या बात है शेखर आज तेरा लंच बॉक्स किधर है…भई हम तो इंतज़ार करते रहते हैं कब लंच टाइम हो और हमें तेरे साथ खाने को मिले…।” ऑफिस में ही साथ काम करने वाले तनय ने कहा  ” यार अब से मैं ऑफिस कैंटीन में ही लंच करूँगा…. मेरे बस का कहाँ रसोई में जाकर … Read more

बहुरेंगे दिन – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ आइए माँ ।” बहू की आवाज़ सुन कर जानकी जी अपनी आँखों में बह आए आँसुओं की हल्की सी बूँदाबाँदी को अपनी उँगलियों से पोंछते हुए अपनी चाल तेज कर दी बहू लतिका उनका हाथ पकड़कर चल रही थी। “बहू भीतर बहुत लोग होंगे… सब मेरी घरेलू भाषा समझेंगे भी नहीं ऐसे में प्रतीक … Read more

दिखावे की जरूरत नहीं – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

( मुहावरा-टका सा मुँह लेकर रह जाना) राजवीर जी अपने दोस्तों में बहुत ज़्यादा ही चर्चा में रहते थे….आखिर क्यों ना हो उनके बेटा बहू उनका ख़्याल कुछ ज़्यादा ही रखते थे । हर दिन वो सोसायटी के पार्क में पोते पोती कृष और कृषा को लेकर जाते वो दोनों सोसायटी के अन्य बच्चों के … Read more

उपहार ना बने उपहास – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“रमा बहू बिटिया की शादी का न्योता सबको दे दिया हो तो जरा मुझे भी वो लिस्ट दिखा देना… एक बार देख लूँ  कोई रह तो नहीं गया है?” सुलोचना जी बहू से बोली रमा जो बेटी की ब्याह की तैयारियों में व्यस्त थी पास रखी एक डायरी उठा कर सास को पकड़ा दी। सुलोचना … Read more

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