अपनों से पराए भले – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

‘‘ ये लोग जो चुपचाप बैठे है ये लोग कौन हैं गरिमा तू जानती है इनको?’’ रसोई में पूरी तलती  सुरभि ने गरिमा से पूछा ‘‘ जानती तो मैं भी नहीं… लगता है कोई बाहर वाले होंगे, तभी तो मेहमान बनकर बैठे हैं।’’ गरिमा ने अपनी सोच की गाड़ी को एक कदम आगे बढ़ा कर … Read more

बहू ससुराल को करे तो अच्छी पर बेटा ससुराल को करता बुरा क्यों लगता… – रश्मि प्रकाश 

“ देखो तुम्हारी चिंता तो जायज है, पर ये भी तो समझो ना वो भी अब उसका ही परिवार है….. सरला अपने बच्चे पर भरोसा रखो….एकतो तुम्हारी वो बेकार सी सहेलियाँ जाने क्या पटी पढ़ा जाती तुम्हें और तुम बस चिन्ता में मरी जाती हो…. अरे अपने दिए संस्कार परभरोसा तो रखो…बेकार की चिंता कर … Read more

मोह मायके का – रश्मि प्रकाश 

“ क्या बात है बहू कब से तुम्हें आवाज़ दे रही हूँ तुम सुन ही नहीं रही हो और अब देखो यहाँ बैठकर ना जाने किन ख़्यालों में खोई हुई हो… क्या बात है परेशान लग रही हो?” सुनंदा जी अपनी बहू अवनी से बोली  “ मम्मी जी आपको तो पता ही है मायके में … Read more

भाई से ईर्ष्या – रश्मि प्रकाश 

“ अनुजा मेरे कपड़े कहाँ रख दिए फिर नहीं मिल रहे… तुम भी ना जरा भी ध्यान नहीं देती हो पक्का मेरे कपड़े… सुहास के कपड़ों के साथ उसकी अलमारी में सज रहे होंगे ।” विभोर ने झल्लाते हुए कहा  वो कमरे से जैसे ही बाहर निकल कर आया… सुहास की पत्नी मनस्वी कुछ कपड़े … Read more

वक्त वक्त की बात – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

बेटी की चिट्ठी हाथ में पकड़े योगेश को आज एहसास हो रहा था कि एक वक्त था जब पिताजी ने कहा था (और योगेश अतीत में खो गया) “ बस योगेश बस !!!अब बस भी करो… बहुत बोल रहे हो कम से कम वक़्त से डरो…आज इनकी ज़िन्दगी पर बन आई है कहीं कल को… … Read more

माँ का विश्वास – रश्मि प्रकाश

आज बहुत दिनों बाद प्रफुल्ल घर आ रहा है… मनोरमा जी ने बेटे को फ़ोन करके आने के लिए जो कहा था कॉलेज की पढ़ाई करने शहर गया तो अतिव्यस्त दिनचर्या और पढ़ाकू प्रफुल्ल के लिए घर आने का वक़्त ही नहीं मिल रहा था पर मनोरमा जी ने बेटे को इस बार कैसे भी … Read more

सासु माँ ससुर जी से कहिए सब्ज़ियाँ लाने को – रश्मि प्रकाश  : Moral Stories in Hindi

“ सुनो जी तुम ना कल से बाज़ार जाकर सब्ज़ियाँ ले आया करो।” सुनंदा जी ने पति  राजेश्वर जी से धीमे स्वर में कहा  “ अम्मा यार अब इस उम्र में भी सब्ज़ी बाज़ार दौड़ाती फिरोगी…अब तो निकुंज को सब्ज़ी लाने की ज़िम्मेदारी दो।” राजेश्वर जी ने थोड़ा तल्ख़ अंदाज़ में कहा  “ वो तो … Read more

 माँ तो माँ होती है – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ सुन रही हो माँ की तबीयत बहुत ख़राब है अब उनके बचने की उम्मीद जरा भी नहीं है…. भैया कह रहे थे एक बार आकर उन्हें देख लो ।”कुन्दन अपनी पत्नी रूचि से कह रहा था जिसकी आँखों में आँसू और आवाज़ में कंपन रूचि महसूस कर रही थी  “ तुम्हें क्या लगता है … Read more

संयुक्त परिवार में  बिटिया नहीं ब्याहना … – रश्मि प्रकाश 

हरीश जी और गायत्री अपनी इकलौती बेटी काव्या की शादी के लिए परेशान थे और बहुतेरे घर ,परिवार और लड़का देखने के बाद भी उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था… कहीं परिवार पसंद नहीं आ रहा था तो कहीं लड़का नहीं जम रहा था…।  बहुत सोच विचार और खोज बीन करने के बाद एक … Read more

बेटे की माँ बनना ही काफ़ी नहीं है… – रश्मि प्रकाश  : Moral Stories in Hindi

“ये क्या बेटा  बाहर से आए हो कपड़े तो बदल लो… आते ही आराम कुर्सी पर आराम फ़रमाने लगे… देखरही हूँ दिन प्रतिदिन तुम बिगड़ते जा रहे हो।” ग़ुस्से में नयना अपने बेटे आदि के कपड़े बदलने की जुगत करती बोली  तभी उसने देखा देवरानी अदिति की बेटी इरा खुद ही कपड़े बदल कर अपनी … Read more

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