प्रायश्चित – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

सुधा जी पचहत्तर साल की उम्र में भी अपना सब काम खुद ही करती थीं। बाथरूम में फिसल जाने के कारण गिर गयी थी। बडी मुश्किल से खुद ही उठकर पड़ोस में रहने वाली पगली (उम्र बीस साल) को कॉल करके  बोला , जल्दी से आ जाओ चोट लग गयी है हॉस्पिटल ले चलो हमको … Read more

 तकदीर फूटना – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

(भाग्य खराब होना) सीता सब्जी खरीद रही थी, अचानक से उनके सर पे किसी ने मारा, सीता जोर से बोली कौन है,पागल अरे—–तू—— ,  सिम्मी ,कैसी है तू? सिम्मी ने बोला,तुम खुद  ही देख लो,, एकदम मस्त हूँ?। सीता तुमने क्या हाल बना रखा है अपना? कुछ ठीक नही लग रही तुम ,क्या हुआ?सब ठीक … Read more

सम्मान की सूखी रोटी – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

सपना अपनी माँ (विमला जी)पापा (विनोद जी) की,एकलौती संतान थी। सपना के मम्मी, पापा ,ने बड़े ही प्यार से पाला था सपना को। वो सारी सुख सुविधा अपनी बेटी देते थे।  सपना में विनोद जी औऱ विमला जी की जान बसती थी। सपना बीस  वर्ष की हो गयी थीं।  विनोद जी पार्क में टहलने गये … Read more

 मीठी छुरी चलाना : रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

सोना, बहुत ही अच्छी बहु थी।उसके परिवार में मालती जी,(सास)महेश जी(ससुर) तीन ननद, उसके पति सोहन ,और उसका पंद्रह साल का बेटा मुन्ना रहते थे। तीनो नंदो की शादी  हो चुकी थी । सब अपने परिवार में राजी खुशी रहती थी । तीनो ननदे अपनी भाभी , (सोना) का  बहुत ही ज्यादा मान सम्मान करती … Read more

पट्टी पढ़ाना – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

अमित भैया ,रिया भाभी दिन भर ऑफिस   में काम करती है, फिर  घर आते ही ,घर के कामो में लग जाती है, उनकी बेटी (एंजल) अठारह साल की है उसकी कोई फिकर ही नही है , दिन रात फ़ोन  पे लगी रहती है, जाने कौन सी पढ़ाई करती है। आप अपनी एंजल को संभाल … Read more

दिखावे की जिंदगी – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

प्रिया बहुत ही ज्यादा समझदार लड़की थी । अपने पूरे परिवार में सबसे अधिक पढ़ी लिखी होने के कारण सब लोग उसका बहुत मान सम्मान करते थे। आज प्रिया बहुत ही खुश थी, क्योकि उसकी नौकरी एक मल्टीनेशनल कंपनी में लग गयी थी। प्रिया के मम्मी पापा का सपना पूरा हो गया हो गया, वो … Read more

लल्लो चप्पो करना – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

 ममता (बड़ी बहु) ला मुझे दे , ये  प्लेट, सरला जी ने प्लेट छीनते हुए बोला, औऱ आवाज लगाने लगी   सुमन बेटा, (छोटी बहु) फल खा के ही ऑफिस जाना। सुमन ने उनके हाथों से फल लेते हुए बोला, अभी टाइम नही है माँ जी ऑफिस में खा लुंगी। बहु को बाहर बाय बाय … Read more

“आँखों में खटकना” – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

मीरा जी बहुत खुश थी , छोटी बहु राधा , के घर मे आने से । पूरे घर में  चहल पहल थी । जो भी , रिश्तेदार , पड़ोसी ,बहु को देखने , आते सबसे बहु राधा की तारीफ करते नही थक रही थी। और तो औऱ बातो बातो में, अपनी आदत से लाचार मीरा … Read more

एक माफ़ी ने बिगड़ने से पहले रिश्ते सुधार दिए – रंजीता पाण्डेय   : Moral Stories in Hindi

रुचि क्या कर रही हो?मेरे पास आओ , रामरती जी ने बोला , रुचि आ गयी और बोली क्या हुआ माँ जी, ? दो दिन बाद तुम्हारी छोटी चाची (मोना) जी आ रही है, रुचि ने बोला मुझे पता है , माँ जी ।रामरती जी ने बोला , थोडा चुप रहेगी , पहले मेरी पूरी … Read more

“टका सा मुँह लेकर रह जाना” – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

आओ आओ , दीनानाथ कैसे हो? बहुत दिनों बाद आये हो, कहा गये थे? मैं कुम्भ नहाने चला गया था।पूरे पंद्रह दिन वही था, बहुत अच्छे  से दिन बिता वहाँ पर। रोज सुबह नहाना , पूजा पाठ ,दिन भर भजन  मज़ा आ गया था । तुम क्यो नही गये  सुभाष ?क्या बोलू, जाना तो चाह … Read more

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