सर्वगुण संपन्न – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

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“बहू!..कितनी बार कहा है सर पर पल्लू रखा करो।” रसोई में प्रवेश करते ही जगदंबा जी ने अपनी नई नवेली बहू रूपम को टोका। जगदंबा जी के टोकते ही रूपम ने झट से पल्लू अपने सर पर खींच लिया लेकिन फिर भी जगदंबा जी भुनभुनाई.. “अच्छे घर की बहू का पल्लू हमेशा उसके सर पर … Read more

सफर – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

सफर शुरू होने से पहले ही अचानक नंदिनी की नजर अगली सीट पर बैठे शख्स की उंगलियों पर गई। लैपटॉप के कीपैड पर तेजी से चलती दाहिने हाथ की उंगलियां पांच की जगह छ: थी। उस शख्स के ठीक पीछे वाली सीट पर बैठी नंदिनी लैपटॉप के स्क्रीन पर खुली वाइल्डलाइफ का पेज साफ-साफ देख … Read more

बदलाव – पुष्पा कुमारी ‘पुष्प’ : Moral Stories in Hindi

“आजकल आप लंच में मेरी दी हुई सब्जी नहीं खाते हैं ना?” अनिता ने आखिर आज अपने पति सुनील से पूछ ही लिया “नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है!”. कुछ जरूरी फाइलें निपटाने में व्यस्त सुनील ने अनीता की बात को टालना चाहा “आज सब्जी में गलती से नमक थोड़ा ज्यादा पड़ गया था … Read more

आदर्श – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

“निशा!.पिछले महीने मैंने तुम्हें पचास हजार रुपए दिए थे रखने के लिए; उसमें से तुम मुझे दस हजार रुपए दे दो।” भोजन कर जल्दबाजी में कहीं बाहर जाने के लिए घर से निकलते नीरज की बात सुनकर निशा ने सर झुका लिया.. “वह रुपए तो अभी मेरे पास नहीं हैं।” “नहीं है का क्या मतलब … Read more

गुमशुदा – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

एक मन हुआ कि पार्क में बैठी उसकी हमउम्र सहेलियों से पूछ ले कि.. “आखिर दो दिनों से वह कहां गुम हो गई है?” फिर रुक गया यह सोचकर कि कहीं मेरी इस जिज्ञासा का कोई गलत मतलब ना निकाल ले। उम्र की ढलान पर ही सही लेकिन है तो औरतें ही,.और उसका उससे कोई  … Read more

कमाई – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

“आज भी रसोई में कोई सब्जी नहीं बनी है क्या?” अपने सामने रखी भोजन की थाली में केवल दाल रोटी देखकर राजेश ने अपनी पत्नी रश्मि से पूछ लिया। रश्मि अभी कुछ कहती उससे पहले ही राजेश की मांँ सुनैना बोल पड़ी.. “बेटा मैंने कितनी बार तुमसे कहा है कि,.चार लोगों का परिवार एक अकेले … Read more

सलाह – पुष्पा कुमारी “पुष्प”   : Moral Stories in Hindi

“बेटा!.मेरे चश्मे का शीशा टूट गया है,.इसे रख लो! दफ्तर जाते वक्त बनवा देना!” राजिव की मांँ अंजना जी अपना चश्मा वहीं टेबल पर रख कर अपने कमरे के भीतर चली गई। दफ्तर जाने के लिए तैयार हो रहा राजीव अपनी मांँ का टूटा हुआ चश्मा उठाकर अपनी शर्ट की ऊपर वाली जेब में रख … Read more

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