बुलावा – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

अपने आजू-बाजू बैठे दो अजनबी यात्रियों के बीच बैठी सुबह की पहली फ्लाइट से देहरादून जाती रोहिणी की आंँखों के सामने लगभग पांँच वर्ष पहले की वह घटना चलचित्र की तरह पुनर्जीवित हो उठी…  बच्चों के स्कूल में गर्मी की छुट्टियां थी और उसी दौरान किसी जान-पहचान वाले की ओर से टेलीफोन पर अपने पिता … Read more

मेरी बिंदिया रे – पुष्पा कुमारी ‘पुष्प’ : Moral Stories in Hindi

लगभग 15 वर्ष पूर्व मैं अपने मायके एक विवाह सामारोह मे शामिल होने गई थी। तब मेरी बच्ची काफी छोटी थी। लेकिन माँ के विशेष अनुरोध को मैं टाल न सकी और यहाँ से अनुमति प्राप्त कर बच्ची समेत अपने भाई के साथ अपने मायके मे मेरा प्रादुर्भाव हुआ l वैसे बेटियां जब मायके आती … Read more

अम्मा_की_दुकान – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

“आइए भैया जी! अभी-अभी ताजा फूल लाया हूंँ, कहिए क्या-क्या दे दूं?” संतोष को अपनी दुकान की ओर आते देख फूल विक्रेता हरिहर मुस्कुराया। “एक बढ़िया सा ताजा फूलों का तोरण और गेंदे की एक माला के साथ रजनीगंधा के कुछ फूल भी दे देना।” मंदिर के बगल वाले फूलों की दुकान पर संतोष ने … Read more

इंतजार – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

“कब तक अपने पिता के घर में बैठी रहोगी सौम्या! अपनी पसंद से ही सही विवाह कर तुम भी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश क्यों नहीं करती!” आज सौम्या से मिलने आई उसकी बचपन की सहेली और अब दो प्यारे-प्यारे बच्चों की मांँ बन चुकी राधिका ने बातों ही बातों में सौम्या को … Read more

कड़वा करेला – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

“बेटी के विवाह में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं लेकिन मेरा मन बहुत घबरा रहा है!” विवाह में आने वाले मेहमानों की लिस्ट तैयार कर रहे अपने पति अखिलेश के बगल में आकर बैठते हुए रंजना ने चिंता जताई। “इसमें घबराने जैसी क्या बात है! सारे इंतजाम वक्त पर हो जाएंगे तुम चिंता … Read more

सलाह – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

“आप इतनी देर से फोन पर किससे बातें कर रहे थे?. ऐसा लग रहा था जैसे आप किसी से रुपयों के लेन-देन की बात कर रहे थे!” दोपहर के खाने की तैयारी कर रही रश्मि के कान रसोई से सटे हॉल में बैठे अपने पति के द्वारा फोन पर किसी से रूपए पैसे को लेकर … Read more

सर्वगुण संपन्न – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

“बहू!..कितनी बार कहा है सर पर पल्लू रखा करो।” रसोई में प्रवेश करते ही जगदंबा जी ने अपनी नई नवेली बहू रूपम को टोका। जगदंबा जी के टोकते ही रूपम ने झट से पल्लू अपने सर पर खींच लिया लेकिन फिर भी जगदंबा जी भुनभुनाई.. “अच्छे घर की बहू का पल्लू हमेशा उसके सर पर … Read more

सफर – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

सफर शुरू होने से पहले ही अचानक नंदिनी की नजर अगली सीट पर बैठे शख्स की उंगलियों पर गई। लैपटॉप के कीपैड पर तेजी से चलती दाहिने हाथ की उंगलियां पांच की जगह छ: थी। उस शख्स के ठीक पीछे वाली सीट पर बैठी नंदिनी लैपटॉप के स्क्रीन पर खुली वाइल्डलाइफ का पेज साफ-साफ देख … Read more

बदलाव – पुष्पा कुमारी ‘पुष्प’ : Moral Stories in Hindi

“आजकल आप लंच में मेरी दी हुई सब्जी नहीं खाते हैं ना?” अनिता ने आखिर आज अपने पति सुनील से पूछ ही लिया “नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है!”. कुछ जरूरी फाइलें निपटाने में व्यस्त सुनील ने अनीता की बात को टालना चाहा “आज सब्जी में गलती से नमक थोड़ा ज्यादा पड़ गया था … Read more

आदर्श – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

“निशा!.पिछले महीने मैंने तुम्हें पचास हजार रुपए दिए थे रखने के लिए; उसमें से तुम मुझे दस हजार रुपए दे दो।” भोजन कर जल्दबाजी में कहीं बाहर जाने के लिए घर से निकलते नीरज की बात सुनकर निशा ने सर झुका लिया.. “वह रुपए तो अभी मेरे पास नहीं हैं।” “नहीं है का क्या मतलब … Read more

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