प्रेमालाप – पुरुषोत्तम : Moral Stories in Hindi

“क्या हमारा ब्याह न हो पायेगा आरू?” अरिंदम की बाँहों में सिमटी सुनयना ने आह भरते हुए कहा। “नहीं।” “क्यों आरू।” “क्योंकि तुम बड़े घर की हो और मैं छोटे घर का।” “लेकिन मुझे तुमसे दूर रहना होगा, यह सोचकर भी डर लगता है। मेरा ब्याह होगा किसी और से, तो तुमसे क्यों नहीं। प्रेम … Read more

”नेहा“ – पुरुषोत्तम : Moral Stories in Hindi

अनुमंडल से कोई बारह किलोमीटर दूर, संथाल की पठार का एक गाँव कमलपुर। गाँव नहीं देहात, भोले-भाले, खेती-किसानी करने वाले लोग। अनपढ़ों की पिछड़ी बस्ती। बस्ती पिछड़ी भली लेकिन सपने आसमान में उड़ने के; अपनी कमजोर और नन्ही ही सही पंखों के सहारे। इसी बस्ती में गरीब परिवार में जोड़ी भर आँखों में ऐसे ही … Read more

पहली ड्युटि- पुरुषोत्तम Moral Stories in Hindi

हम सबको पता है कि भारत के बाकी सभी पर्वों की तरह चुनाव का पर्व भी अहम होता है। लोकतंत्र और चुनाव दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं। इसलिए एक लोकतांत्रिक देश में हर दूसरे-तीसरे साल इस पर्व से सामना होता ही है और इसमें शामिल भी होना पड़ता है। चुनावी लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण … Read more

प्रायश्चित – पुरूषोत्तम : Moral stories in hindi

ब्रजमोहन देव के पक्ष में जमीन की डिग्री नहीं हुई थी। जिस जमीन पर उसने दावा किया था वह प्रधानी जोत थी। जमीन पर उसका दावा खारीज हो गया था। लेकिन विशारदपुर थाने का बड़ा बाबू सकते में था। कल ही उसने इलाके के रसूखदार ब्रजमोहन देव के कहने पर उस खंडहरनुमा घर से एक … Read more

error: Content is Copyright protected !!