आसान नहीं मां कहलाना!! – पूर्णिमा सोनी: Moral Stories in Hindi

प्रि्या के जीवन में नन्हे कदमों की आहट क्या आई पति देव की पोस्टिंग, फिर ट्रेनिंग आ गई। सेलेक्शन का रिजल्ट तो पहले ही आ गया था! तब उत्तर प्रदेश का बंटवारा नहीं हुआ था, तो एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट नैनीताल में ट्रेनिंग के लिए जाना था.. तीन महीने के लिए.. ट्रेनिंग से वापस आकर  अनंत … Read more

आखिरी मैसेज – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

आलमारी में अपने कपड़े जमा कर  पूनम पलटी ही थी कि फोन पर निगाह पड़ी, उठा कर देखा तो बहुत से मिस काल और मैसेज पड़े थे। क्या करें? जब से इस शहर में ट्रांसफर हो कर आई है, काम से फुर्सत ही नहीं मिल रही है। पतिदेव  और बिटिया आते ही अपनी व्यस्तता में … Read more

नाम में जो रखा है! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

रिद्धि  को ससुराल आते ही सासू मां ने पहली बात समझाई वो यही थी कि  अपने पति का नाम नहीं लेना है.. मतलब उनको, उनके नाम से नहीं बुलाना है?? और जरूरत  भी ऐसी ही तुरंत पड़ गई रिद्धि ,इस घर की नई बहू, जिसे अभी इस घर में आए जुम्मा जुम्मा चार दिन भी … Read more

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मेहमान – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

वो कड़कड़ाती सर्दियों की एक आलसभरी सुबह थी,आलस इस सेंस में कि रजाई से हाथ बाहर निकले तो बर्फ की तरह जमने लगे और वापस रजाई के अंदर ही घुसने का मन करे,और मजबूरी ये कि पतिदेव के आफिस जाने का समय तो नियत ही होता है ना!माघ मास की ठंड में सूरज भगवान निकलना … Read more

जीत – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

” तुम्हें कुछ समझ में नहीं आता है क्या? कितनी देर से चिल्ला रहा हूं मैं, कहां ध्यान है? कितनी लापरवाह हो गई हो तुम, किसी चीज की कोई जिम्मेदारी तुम्हारी भी है? इतना भी नहीं बोल सकी? किस काम की हो आखिर?? तेजप्रताप जी बहुत तेज तेज चिल्ला रहे थे। इतने गुस्से में ,माथे … Read more

नग वाली पायल – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

अरे सुना कुछ …..वो महेश अंकल नहीं रहे क्या? क्या कह रहे हैं आप?… अब? मंजरी  के हाथ,दुख और सदमे से रूक से गए। वरना सुबह सुबह काम से किसे फुर्सत मिलती है? इतनी सुबह ये समाचार मिला बस कुछ ही दूरी पर महेश और सौदामिनी जी रहते हैं। रिटायर हो चुके हैं, परंतु  बहुत … Read more

अपने लिए आवाज़ स्वयं उठानी पड़ती है! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

क्या करूं,आज  दत्ता सर बाहर गए हैं , मतलब अपना काम लैब में थोड़ी देर से भी शुरू कर सकती हूं.. मतलब करना तो है ही.. पहले कैंपस के बाहर जो  चाट का ठेले वाला खड़ा होता है, उससे गोलगप्पे खा कर आती हूं। गोलगप्पे!! इसकी तो कल्पना कर के ही प्राची का मुंह गोलगप्पे … Read more

हरे कांच की चूड़ियां! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

घर में मेहमानों की रेलमपेल मची थी। बाहर वाले कमरे में भीतर बरामदे से लेकर छत तक… सब जगह सुनीति अपनी ननद के घर उनकी पच्चीसवीं मैरिज एनिवर्सरी के अवसर पर आई थी… अपनी पति ,बच्चों और सासू मां सरला जी के साथ यूं तो ( सासू) मां साथ चलने को तैयार नहीं थी.. अभी … Read more

कोई लाख करे चतुराई – पूर्णिमा सोनी   : Moral Stories in Hindi

, पकौड़े और चटनी, समाप्त हो चुके थे। और थे भी कितने, विद्या जी मंदिर तक गई थीं तो उनकी चार सहेलियां और साथ में आ गई, जो उनके साथ भजन मंडली में शामिल रहती थीं मंदिर में। घर के भीतर से पकौड़े तलने की तेज खुशबू आ रही थी। आज ये मम्मी जी मंदिर … Read more

लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है!!… – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

..और धड़ा धड़ खिड़कियां बंद होने की आवाजें आने लगी। कोई नई बात तो नहीं थी, हमेशा ही ऐसा ही होता है। ऋतु के कमरे के सामने जो घर पड़ता था, उसका हमेशा का किस्सा था ये। उसके कमरे की खिड़की बगल वाली गली की ओर खुलती थी, ठीक खिड़की के सामने  पढ़ने वाली मेज़, … Read more

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