जीत – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

” तुम्हें कुछ समझ में नहीं आता है क्या? कितनी देर से चिल्ला रहा हूं मैं, कहां ध्यान है? कितनी लापरवाह हो गई हो तुम, किसी चीज की कोई जिम्मेदारी तुम्हारी भी है? इतना भी नहीं बोल सकी? किस काम की हो आखिर?? तेजप्रताप जी बहुत तेज तेज चिल्ला रहे थे। इतने गुस्से में ,माथे … Read more

नग वाली पायल – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

अरे सुना कुछ …..वो महेश अंकल नहीं रहे क्या? क्या कह रहे हैं आप?… अब? मंजरी  के हाथ,दुख और सदमे से रूक से गए। वरना सुबह सुबह काम से किसे फुर्सत मिलती है? इतनी सुबह ये समाचार मिला बस कुछ ही दूरी पर महेश और सौदामिनी जी रहते हैं। रिटायर हो चुके हैं, परंतु  बहुत … Read more

अपने लिए आवाज़ स्वयं उठानी पड़ती है! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

क्या करूं,आज  दत्ता सर बाहर गए हैं , मतलब अपना काम लैब में थोड़ी देर से भी शुरू कर सकती हूं.. मतलब करना तो है ही.. पहले कैंपस के बाहर जो  चाट का ठेले वाला खड़ा होता है, उससे गोलगप्पे खा कर आती हूं। गोलगप्पे!! इसकी तो कल्पना कर के ही प्राची का मुंह गोलगप्पे … Read more

हरे कांच की चूड़ियां! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

घर में मेहमानों की रेलमपेल मची थी। बाहर वाले कमरे में भीतर बरामदे से लेकर छत तक… सब जगह सुनीति अपनी ननद के घर उनकी पच्चीसवीं मैरिज एनिवर्सरी के अवसर पर आई थी… अपनी पति ,बच्चों और सासू मां सरला जी के साथ यूं तो ( सासू) मां साथ चलने को तैयार नहीं थी.. अभी … Read more

कोई लाख करे चतुराई – पूर्णिमा सोनी   : Moral Stories in Hindi

, पकौड़े और चटनी, समाप्त हो चुके थे। और थे भी कितने, विद्या जी मंदिर तक गई थीं तो उनकी चार सहेलियां और साथ में आ गई, जो उनके साथ भजन मंडली में शामिल रहती थीं मंदिर में। घर के भीतर से पकौड़े तलने की तेज खुशबू आ रही थी। आज ये मम्मी जी मंदिर … Read more

लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है!!… – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

..और धड़ा धड़ खिड़कियां बंद होने की आवाजें आने लगी। कोई नई बात तो नहीं थी, हमेशा ही ऐसा ही होता है। ऋतु के कमरे के सामने जो घर पड़ता था, उसका हमेशा का किस्सा था ये। उसके कमरे की खिड़की बगल वाली गली की ओर खुलती थी, ठीक खिड़की के सामने  पढ़ने वाली मेज़, … Read more

मां की साड़ी!! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

मां बहुत ही ग्रेसफुल तरीके से साड़ी पहना करती  थी। उनके गरिमामई व्यक्तित्व की चर्चा सभी ओर थी  मुझे याद नहीं कभी जल्दबाजी में भी वो अच्छे से तैयार ना हुई हों।   बालों का जूड़ा बना कर, साड़ी को सलीके  से पिनअप करके , हाथ में घड़ी लगा कर, जिससे वो अपने काम  करें, विशेष … Read more

सपने में… जोर कहां – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

 कब से जी हलकान  हुआ जाए रहा है  जाना भी जरूरी है ई टिकटवा तो मिल नहीं रहा है  सभी ट्रेनों में रिजर्वेशन फुल दिख रहा है  अब ऐन वक्त पर  तो ऐसा ही होगा  का कह रहे हैं?…. वो जो दूर के रिश्ते के भैया हैं ना.. वो दिलवा देंगे,?  कोई वी आई पी, … Read more

लो सखि – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

 आज फिर तुमसे, अपने दिल की बात करने बैठी हूं  अब ये दुनिया दारी और घर गृहस्थी के चक्कर में, दिल- विल जैसा तो कुछ रह  नहीं गया है  भले ही चले… अरे वेलेंटाइन वीक…. हमें क्या?  हम दिमाग़ लगाए के अपनी घर गृहस्थी संभाले या  दिल?  सैंया जी अपने काम धंधे में खटे और … Read more

सबक जिंदगी का! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

 रिद्धि की विवाह के समय की बात है…  उसके स्वयं के विवाह में सगाई में इतनी खराब साड़ियां आई थी कि सब देख कर कहा उठे थे इससे अच्छी साड़ियां तो तुम्हारी ननदें पहन कर आई हैं,और होने वाली  बहू के लिए इतनी देहाती जैसे कपड़े लाए हैं?  मगर रिद्धि की मां,… वो  तो उदार … Read more

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