मानू चला गया – प्रियंका सक्सेना : Moral Stories in Hindi

मानू जब घर में आया तो घर में मानो बहार आ गई, हो भी क्यों नहीं? वासंती जी और रवींद्र जी के बड़े बेटे अमित की पहली संतान जो था। कविता भी अपने बेटे को सास-ससुर और देवर सुनील के द्वारा मानू को हाथों-हाथ रखने से बहुत खुश थी। मानू को पलकों में सहेज कर … Read more

मान सम्मान मायके का! – प्रियंका सक्सेना : Moral Stories in Hindi

दिल्ली से रक्षा बुआ के आते ही दोनों बच्चे बुआ के पास दौड़े चले आए। आठ साल का सोहम और छह साल की सलोनी कल से बुआ के आने का इंतज़ार कर रहे थे। और हो भी क्यों न! आखिरकार बुआ शादी के बाद पहली बार जो आ रही थीं। “बच्चों, बुआ अब आ गई … Read more

कुछ तो लोग कहेंगे… – प्रियंका सक्सेना : Moral Stories in Hindi

रविवार की छुट्टी  के बाद सोमवार के दिन यूँ तो मन अलसाया रहता है लेकिन काम तो आखिर करने ही होते हैं।  गौतम के ऑफिस जाने के बाद माला जी और दीपा ने नाश्ता किया। तभी ऑटोमेटिक मशीन ने कपड़े धुलने का सिग्नल दिया। बाल्टी में कपड़े निकालकर दीपा छत पर कपड़े फैलाने चली गई … Read more

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