माँ की आलमारी – प्रीति आनंद : Moral Stories in Hindi

माँ को गए आज छह महीने हो गए। पल-पल उनके याद में आँखें नम हो जाती थीं। जैसे कोई दुःख का बादल ठहर-सा गया था…. मेरे दिल पर। आज मैंने पहली बार उनकी अलमारी खोली है। न जाने कितने तरह का समान सलीक़े से लगा हुआ है। साड़ी-ब्लाउज़ के सैट बना कर कितने हिसाब से … Read more

दो बेटियों की माँ – प्रीति आनंद : Moral Stories in Hindi

नन्ही-मुन्नी माही को अपनी दीदी नेहा के पीछे भागते देख आज राधा के दिल को बड़ा सुकून मिल रहा था। इसी वर्ष मकर संक्रांति की ही तो बात थी जब नेहा ने अचानक उससे कहा था, “माँ, थोड़ा तिल गजक उन्हें भी दे दें जो सड़कों पर रहते हैं?” “किसकी बात कर रही हो, नेहा?” … Read more

आप मेरी दादी हो! – प्रीति आनंद अस्थाना : Moral Stories in Hindi

“अरे वाह दादी, आपने तो मुझे घर की याद दिला दी!” प्रणय ने खुशी से दादी को गोद में उठा लिया। छोटे से शहर कानपुर का रहने वाला प्रणय मुंबई आया था एम.बी.ए. करने। साथ में तीन सहपाठी और थे। होस्टल न मिलने पर उन्होंने दो कमरे का एक मकान किराए पर लिया था। प्लान … Read more

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