अंतिम विदाई – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

आज कैलाश जी  पत्नी सुनंदा पर बहुत बरसे थे। वजह क्या थी सुनंदा भी समझ नहीं पाई थी। पतियों का क्या दुनिया की भड़ास उस पर ही तो निकाली जाती है जो चुपचाप सुन ले और खासकर उन पत्नियों पर जो कुछ ज्यादा ही सहन करतीं हैं। सुनंदा उदास तो हुई पर सोचने लगी जरूर … Read more

तिरस्कार कब तक – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

दुर्गा प्रसाद शहर के जाने-माने वकील थे। उनकी एकलौती बहन कमला की शादी एक बड़े पद पर आसीन व्यक्ति रमाकांत जी के साथ  बड़ी धूमधाम से हुई थी ।बहन की शादी में देर हो जाने की वजह से उनकी उम्र ज्यादा हो गई थी। जिसकी वजह से रमाकांत जो विधुर थे उनके साथ विवाह हुआ … Read more

अब तो  पड़ जाएगी ना तुम्हारे कलेजे में ठंडक – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

दिन भर की चिक-चिक से परेशान हो गई थी रमा जी….बाप – बेटे में ऐसे झगड़े होते जैसे दो छोटे बच्चों में खिलौने को लेकर। पिता पंचानबे साल के थे लेकिन बहुत फिट फाट। अपने काम स्वयं कर लेते थे और बेटा सत्तर साल का जिसको थोड़ी तकलीफ़ रहती थी सेहत में। पिता जी शारदा … Read more

नई सुबह – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

सुभाष जिया से कुछ कहने की कोशिश कर रहा था और कई तरह की भूमिकाएं बना रहा था।वो सोच रहा था कि जिया को कैसे बताए कि वो उससे तलाक लेना चाहता है। जिया रोज की तरह सुबह से अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में लगी थी पर वो बहुत उदास थी। मुरझाया सा उसका चेहरा … Read more

दादी अम्मा – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

सरला जी सत्तर साल की हो गई थी। उम्र के साथ – साथ शरीर भी कमजोर होने लगा था। घुटने में दर्द बना रहता था। किसी तरह धीरे-धीरे अपने काम करती और जा कर बैठ जाती थीं। बेटे – बहू नौकरी करते थे।घर में सारी सुख-सुविधाएं थीं। बेटा रंजीत और बहू सुरीली का एक बेटा … Read more

बहू बेटी जैसी – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

बहन जी मैं बहू नहीं बेटी ले जा रही हूं कल्याणी जी बड़े रुतबे से आयुषी की मम्मी को कह रहीं थीं और आयुषी की मम्मी संतोष की सांस ले रही थी और भगवान को धन्यवाद देते नहीं थक रहीं थीं कि उनकी बेटी अच्छे घर में व्याह कर जा रही है। जहां उसे बेटियों … Read more

सौगात – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

रौशनी बहुत इलाज करवा चुकी थी लेकिन संतान का सुख जैसे नसीब में ही नहीं था। रमन बहुत समझाता कि “कोई बात नहीं हम दोनों हैं ना एक दूसरे के लिए। मुझे नहीं चाहिए बच्चा ,तुम अपने आप को दोष देना बंद करो।” घर आंगन सूना – सूना सा लगता और एक समय के बाद … Read more

शुभ विवाह – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मंत्रों उच्चारण से घर का आंगन खुशनुमा सा लग रहा था। सुधीर जी और सुधा जी का सपना पूरा हो रहा था। बिटिया राधिका की शादी बड़े ऊंचे घराने में तय हुई थी और जोड़ी ऐसी जैसे श्री राम जी और जानकी जी की हो।एक – एक रस्में बड़े विधी विधान से निभाई जा रही … Read more

बेटियां – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

अरे!” तीसरी भी बेटी हो गई बहू को।हे भगवान बेटे की लालच में सुनील ने ये क्या कर दिया”… कमला जी बहू की तीसरी संतान के होने का दुख मना रहीं थीं। चारों तरफ मातम पसरा था जैसे आने वाली नन्ही सी परी ने कोई गुनाह कर दिया हो।सुनील तो अपनी किस्मत को कोस रहा … Read more

सफाई कर्मचारी – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

सुनिता नगर महा पालिका में एक सरकारी सफाई कर्मचारी थी और अपने परिवार के पालन पोषण के लिए वो बड़ी इमानदारी से काम करती थी। उसके दो बेटे थे, कभी – कभी वो भी उसके साथ आ जाते थे। एक बार बड़े बेटे राजू ने मां की मदद के लिए झाड़ू उठा लिया तो सुनिता … Read more

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