सफर की मंजिल – प्रतिभा परांजपे : Moral Stories in Hindi

रघुनाथ जैसे ही स्लिपरकोच में चढे ,उन्होंने देखा, डिब्बे मे काफी भीड थी।अपनी बर्थ नंबर 24 देखी उस पर पहले से ही दो सज्जन  बैठे थे। अपनी छोटी बैग रख उन्होंने उन दोनों पर नजर डाली । “आप की सीट है क्या ?बैठो बैठो” कहते हुए वे दोनों थोड़े-थोड़े  सरक कर बैठ गए । रघुनाथ … Read more

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