मन की गहराई से। –  प्रतिभा परांजपे : Moral Stories in Hindi

मोबाइल बज उठा ,अंदाज़ तो था ही सुप्रिया का ही होगा । ‘हाय सखी कैसी हो, जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं’ वगैरह बातें हुई।  “और बता ,कितने दिन हो गए मिले ही नहीं! मायके आने का समय नहीं मिला क्या?” मैंने उसे उलाहना दिया। ‘ अरे आयी थी ,दो ही दिन के लिये ,  बहुत जल्दबाजी … Read more

प्रवासी पंछी – प्रतिभा परांजपे : Moral Stories in Hindi

सुरेशजी बैंक का काम निपटाकर घर आये। पत्नी माया ने कहा” सुनो आपके नाम एक लिफाफा आया है।” “देखूं किसका है।” एयरमेल है। भेजने वाले के नाम पर मनीष का नाम देख वह चौंक गए!  पत्र लिखने की क्या सुझी ?एक दो दिन आड़े तो फोन पर बातचीत हो जाती है। और छुट्टी के दिन … Read more

सफर की मंजिल – प्रतिभा परांजपे : Moral Stories in Hindi

रघुनाथ जैसे ही स्लिपरकोच में चढे ,उन्होंने देखा, डिब्बे मे काफी भीड थी।अपनी बर्थ नंबर 24 देखी उस पर पहले से ही दो सज्जन  बैठे थे। अपनी छोटी बैग रख उन्होंने उन दोनों पर नजर डाली । “आप की सीट है क्या ?बैठो बैठो” कहते हुए वे दोनों थोड़े-थोड़े  सरक कर बैठ गए । रघुनाथ … Read more

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