इस बार भूल नहीं…. – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

“आशी…कब से बाहर धूल में खेल रही है… भीतर आओ” नीलिमा जोर से चिल्ला रही थी… चिल्लाते चिल्लाते,गला सूख सा आया… और जोर से खांसी उठी, खांसते खांसते बिस्तर के एक किनारे लटक सी गई। घबराकर अनिमेष की नींद टूट गई। फ़ौरन उठकर बगल की टेबल पर रखे जग में से गिलास भरकर पानी  नीलिमा … Read more

दिल का रिश्ता जरा पुराना है…. – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

रसोई यानि कि वह जगह जहां एक स्त्री, अपने परिवार के लिए भोजन बनाती है,और नई नई ब्याही तो अपनी पाक कला आजमा कर ( या फिर उसका भरपूर प्रदर्शन कर) अपने पति के मन को प्रसन्न करने का उपाय ही ढूंढती रहती थी। हां भाई, हमारे समय की बात है ना, फिर कहते हैं … Read more

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