ससुराल की खट्टी-मीठी यादें!! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

कहां से शुरू करुं?  लंबा वक्त गुजर गया  जब पापा की पढ़ाई में डूबी,रहने वाली,एक छोटे से परिवार की बेटी एक बड़े से परिवार की बहू बनी! बहुत डरते डरते ही पापा ने हां बोला था  और डर होता  भी क्यों ना? आखिर जब पापा पहली बार मेरे ससुराल गए थे, सभी भाई, मेरे पूज्य … Read more

मेरा चैन वैन सब उजड़ा – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

अभी थोड़ा समय बाकी है… इतनी देर तो नहीं हुई है… क्या करुं.. ? फोन भी आ गया है.. जल्दी पहुंचो.. तुम्हारे केबिन में साहब पहुंच चुके हैं.. मतलब सरप्राइज़ इंसपेक्शन आज होना तो नहीं चाहिए तो फिर आज कैसे? अब कोशिश तो कर ही रही हूं… अब गिर तो नहीं पड़ूंगी.. अब कर भी … Read more

पत्नी के दिल का रास्ता!! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

रसोई यानि कि वह जगह जहां एक स्त्री, अपने परिवार के लिए भोजन बनाती है,और नई नई ब्याही तो अपनी पाक कला आजमा कर ( या फिर उसका भरपूर प्रदर्शन कर) अपने पति के मन को प्रसन्न करने का उपाय ही ढूंढती रहती थी। हां भाई, हमारे समय की बात है ना, फिर कहते हैं … Read more

हरे कांच की चूड़ियां!! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

घर में मेहमानों की रेलमपेल मची थी। बाहर वाले कमरे में भीतर बरामदे से लेकर छत तक… सब जगह सुनीति अपनी ननद के घर उनकी पच्चीसवीं मैरिज एनिवर्सरी के अवसर पर आई थी… अपनी पति ,बच्चों और सासू मां सरला जी के साथ यूं तो ( सासू) मां साथ चलने को तैयार नहीं थी.. अभी … Read more

इस बार भूल नहीं…. – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

“आशी…कब से बाहर धूल में खेल रही है… भीतर आओ” नीलिमा जोर से चिल्ला रही थी… चिल्लाते चिल्लाते,गला सूख सा आया… और जोर से खांसी उठी, खांसते खांसते बिस्तर के एक किनारे लटक सी गई। घबराकर अनिमेष की नींद टूट गई। फ़ौरन उठकर बगल की टेबल पर रखे जग में से गिलास भरकर पानी  नीलिमा … Read more

दिल का रिश्ता जरा पुराना है…. – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

रसोई यानि कि वह जगह जहां एक स्त्री, अपने परिवार के लिए भोजन बनाती है,और नई नई ब्याही तो अपनी पाक कला आजमा कर ( या फिर उसका भरपूर प्रदर्शन कर) अपने पति के मन को प्रसन्न करने का उपाय ही ढूंढती रहती थी। हां भाई, हमारे समय की बात है ना, फिर कहते हैं … Read more

थोड़ा सा बचा कर रखा है ,ये जो बचपन!! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

बहू रानी,ये जो तुमने बालों को उठा कर सिर  पर जूड़े जैसा ( कहना तो चाहा था घोंसले जैसा) बांध लिया है ना ये कुछ अच्छा नहीं लग रहा है मुझे… आज ही  सारे नेगचार पूरे हुए हैं.. कोई आएगा तो क्या कहेगा? सोनल ( मालती जी की बहू) की आज ही नदी पूजन, देवी … Read more

सास बनते ही क्यूं बदल गई मां?? – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

सुरेखा जी से तो अपनी खुशी थामे नहीं थम रही थी और हो भी क्यों ना! नई ब्याहता बिटिया सिमरन और दामाद मानवेन्द्र घर जो आ रहे हैं! अपनी पड़ोसन को चहकते हुए बता रही थी। बेटी घूमने निकली थी तो थोड़ा सा रुट चेंज करके बीच में दो दिन के लिए मायके भी रुकने … Read more

कि रानी बेटी राज करेगी!! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

मैं लैब में हूं, मम्मी…(  मतलब, अभी बात नहीं कर पाऊंगी..) आद्या ने जवाब दिया पूनम ने इत्मीनान के भाव के साथ फोन रख दिया…. ज्यादा बात ही नहीं हो पाई आज ही क्या… लगभग अक्सर ही मां बेटी के बीच ( बस) इतनी ही बात हो पाती है। और ये बस इतनी सी बात … Read more

ये मुझसे ना हो पाएगा -पूर्णिमा सोनी Moral Stories in Hindi

कह रही हैं मम्मी जी?… सीधे मेरे घर नहीं आएंगी साक्षी ने आश्चर्य से पूछा आखिर इतने दिनों बाद मम्मी जी ( सासू मां) को छुट्टी मिली है, उसके पास आने के लिए.. कितना कहते – कहते.. कभी  मम्मीजी को फुर्सत नहीं, कभी उनकी तबियत ठीक नहीं.. फिर उसी शहर में ही रहने वाली निम्मो … Read more

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