सन्धि द्वार – पूनम शर्मा : Moral Stories in Hindi

लगभग चार साढे़ चार बजे थें, घरेलू उपयोग के जरूरी समानों की खरीदारी कर वैदेही घर की ओर  तेजी से पैदल ही बढ़ रही थी, क्योंकि उसे डर था, कि कामवाली लौट जाएगी, तो बर्तन की सफाई भी उसके सिर पड़ जाएगा। घर के करीब पहुंँची ही थी, कि उसकी निगाह सामने से आती महिला … Read more

मन की कड़वाहट – पूनम शर्मा : Moral Stories in Hindi

आज एक्साइज इंपेक्टर की ड्यूटी पर बिरला मार्केट में निरीक्षक की भूमिका में वंशिका मार्केट के मुख्य भाग में दाखिल हुई थी। सरकारी महकमे में ड्यूटी की व्यस्तता के कारण उसे बीते पल को याद करने की फुर्सत भी नहीं मिलती। बीस वर्ष के सेवाकाल में वर्तमान को समेटते समेटते भूत को उसने ताक पर … Read more

सन्नाटा – पूनम शर्मा : Moral Stories in Hindi

आसमान सूर्य की लालिमा से नीलाभ रंग में परिवर्तित होकर कालिमा के आगोश में समा रहा था । इन परिवर्तनों से अनजान सुषमा कागज कलम में व्यस्त थी। तभी हिरावती ने आवाज़ देते हुए कहा-” मैडम जी! अंधेरा हो गया, घर चलिए, बहुत देर गया है। ” सुषमा बिना नजर उठाए बोली-” तूं चली जा, … Read more

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