टका सा मुंह लेकर रह जाना – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

अन्वी और सिद्धार्थ ने नई सोसाइटी में घर लिया तो सुधा जी अपने बेटे बहू के पास आ गई थी। बेटे बहू के ऑफिस जाने के बाद सुधा जी अकेली रहती तो जल्दी ही  पड़ोस वाली संध्या जी से उनकी दोस्ती हो गई। संध्या जी की एक बुरी आदत थी कि वह कभी भी कुछ … Read more

उपहार की कीमत नहीं दिल देखा जाता है – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

शांता बाई आज जल्दी ही काम से घर आ गई थी, उसे आज रोहतास  के साथ बाजार जाना था। रोहतास के आते ही वह अपनी बचत के रुपए साड़ी के पल्लू में बांध बाजार को चल दी। एक बड़ी दुकान को देख रोहतास से बोली,” अजी क्यों न जहां से साड़ी लेई ले। हां हां … Read more

ननद: दुख ,सुख की सहेली – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

हैलो मां, कैसी हो आप? स्नेहा ने अपनी मां संध्या जी से पूछा। ठीक हूं, मुझे क्या होना है,” संध्या जी रूखे स्वर में बोली। अरे मां, कैसी बातें कर रहे हो। क्यों हो आपको कुछ। चलिए अच्छा बताइए। भाभी कहां है? उनका फोन कैसे बंद है,” स्नेहा ने कहा । यहीं है वो,उसे कहां … Read more

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