तुम्हारे हिस्से का प्यार – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

70 वर्षीय बद्री प्रसाद अभी पौधो को पानी दे रहे थे कि काम वाली बाई आ गई। बाऊजी बर्तन खाली कर दीजिए । हां हां कहते हुए बद्री प्रसाद जी ने रसोई में आकर बर्तन खाली कर  शांता बाई को दिए। तभी उन्होंने दूध और सब्जी बाहर पड़ी देखी.. ओह लगता साक्षी इन्हें फ्रिज में … Read more

ससुर भी पिता होते है…. – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

चुलबुली सी गुड़िया जैसी बहू स्नेहा सास ससुर की जान थी। शादी को बामुश्किल 6 महीने ही हुए होंगे कि एक सुबह फोन आया कि उसके पापा को हार्ट अटैक आ गया और वो सीरियस है।  सास ससुर और अपने पति करण के साथ वह मायके पहुंची ।तब तक डॉक्टर्स ने जवाब दे दिया और … Read more

 समझदारी – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

आज रावी ऑफिस में बहुत थक गई थी। वह अपने कमरे में आकर निढाल पड़ गई।तभी रोहित भी आ गया। थोड़ी देर में सुधा जी उन दोनों के लिए कमरें में चाय ले आई। रावी ,रोहित लो बेटा चाय पी लो। रावी ,सुधा जी से चाय लेते हुए बोली ,” मां आपको क्या पता कि … Read more

 मुंह मोड़ना – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

साधारण रंग रूप मगर गुणवान तनिषा को उसकी जेठानियाँ और ननदे सांवली होने के कम अहमियत देते थे।     तनिषा का रंग रूप भले ही सांवला था मगर मन की एकदम साफ।जो लोग उसे कम पसंद करते फिर भी वह उनके हर काम के लिए तत्पर रहती।            कुकिंग,पेंटिंग, सिलाई, बुनाई हर कार्य में निपुण। … Read more

टका सा मुंह लेकर रह जाना – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

अन्वी और सिद्धार्थ ने नई सोसाइटी में घर लिया तो सुधा जी अपने बेटे बहू के पास आ गई थी। बेटे बहू के ऑफिस जाने के बाद सुधा जी अकेली रहती तो जल्दी ही  पड़ोस वाली संध्या जी से उनकी दोस्ती हो गई। संध्या जी की एक बुरी आदत थी कि वह कभी भी कुछ … Read more

उपहार की कीमत नहीं दिल देखा जाता है – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

शांता बाई आज जल्दी ही काम से घर आ गई थी, उसे आज रोहतास  के साथ बाजार जाना था। रोहतास के आते ही वह अपनी बचत के रुपए साड़ी के पल्लू में बांध बाजार को चल दी। एक बड़ी दुकान को देख रोहतास से बोली,” अजी क्यों न जहां से साड़ी लेई ले। हां हां … Read more

ननद: दुख ,सुख की सहेली – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

हैलो मां, कैसी हो आप? स्नेहा ने अपनी मां संध्या जी से पूछा। ठीक हूं, मुझे क्या होना है,” संध्या जी रूखे स्वर में बोली। अरे मां, कैसी बातें कर रहे हो। क्यों हो आपको कुछ। चलिए अच्छा बताइए। भाभी कहां है? उनका फोन कैसे बंद है,” स्नेहा ने कहा । यहीं है वो,उसे कहां … Read more

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