भेदभाव : निशा जैन : Moral Stories in Hindi

आज जब सफाई करते हुए सुमन को अपनी डॉक्यूमेंट फाइल हाथ लग गई तो उसे खोले बिना वो रह न सकी क्योंकि उसमें उसके सारे पुरस्कार, प्रमाण पत्र और अंकतालिका जो रखी हुई थी। अपनी दसवीं की अंकतालिका जैसे ही उसने देखी यकायक पच्चीस साल पीछे अपने बचपन के दौर में पहुंच गई क्योंकि उसके … Read more

समझौता अब नहीं – निशा जैन : Moral Stories in Hindi

            मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली लड़की जिसने ख्वावों में भी नही सोचा था कि मैं कभी दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों को देखूंगी और वहां अपने जीवन के कुछ साल गुजारूंगी   उसकी किस्मत देखिए कि पतिदेव का ट्रांसफर धौलपुर जैसे छोटे नगर से सीधे मुंबई जैसे महानगर हो गया । और जिस दिन … Read more

 संयुक्त परिवार_ फायदे या नुकसान – निशा जैन : Moral Stories in Hindi

“अरे दीदी इस समय कैसे टाइम मिला अपनी बहन से बात करने का  ये तो तुम्हारे रसोई में रहने का टाइम है” सुधा ने बड़ी बहन प्रभा से कहा (जब कई दिनों बाद उसका फोन आया और जब फोन आता तो दोनों बहन का एक घंटा कब निकल जाता पता ही नहीं चलता) “अरे आज … Read more

अन्नपूर्णा – निशा जैन : Moral Stories in Hindi

राशि अपने पति सुबोध के साथ बड़े शहर में जबकि उसके सास ससुर जी अपने गांव के पैतृक मकान में ही रहते थे। कभी कभार वो 15 से 20 दिनों के लिए अपने बेटे बहु के पास आ जाया करते थे।             राशि पढ़ी लिखी होशियार लड़की थी पर छोटे बच्चों का साथ होने से नौकरी … Read more

रिश्तों की खिचड़ी – निशा जैन : Moral Stories in Hindi

सुगंधा एक भरे पूरे संयुक्त परिवार में पली बढ़ी खुशमिजाज लड़की थी जो रिश्तों की कीमत भली भांति जानती थी।।उसने अपने हर रिश्ते चाहे वो चाचा हो, बुआ, ताऊ, मौसी, मामा, नाना, नानी, दादा_ दादी हो सबको बहुत पास से देखा और समझा था।        वो चार भाई बहिनों में सबसे छोटी थी और सबकी लाडली … Read more

ननद की समझदारी – निशा जैन : Moral Stories in Hindi

जब ऋषि ने प्रिया से पूछा ” मम्मा वो बुआ वाला महीना कब आएगा ?” तो प्रिया हंसते हुए बोली बस अगले हफ्ते आने वाला है तो वह बहुत खुश हुआ और खेलने चला गया। ऋषि बुआ वाला महीना जून के महीने को बोलता था जब उसकी बुआ छुट्टियों में 10 दिनों के लिए उसके … Read more

मेरा भी आत्मसम्मान है – निशा जैन : Moral Stories in Hindi

“बस मां बहुत हो गया अब मुझे नहीं करनी अपनी प्रदर्शनी बार बार। हर बार कोई नया रिश्ता आता है और हमेशा की तरह मेरे आत्मसम्मान को चोट पहुंचा कर मना कर दिया जाता है। माना कि मैं कद काठी में मोटी और छोटी ज़रूर हूं पर मेरा भी आत्मसम्मान है और अब मैने भी … Read more

बड़ी बहु दहेज नहीं संस्कार साथ लेकर आएगी   : Moral Stories in Hindi

“भाभी कहो तो अपने अनुज के लिए मेरी भांजी सुमन की बात करूं? लड़की पढ़ी लिखी सुंदर तो है ही साथ ही खूब दहेज भी लाएगी । मेरी ननद को अपना घर परिवार पसंद है इसलिए वरना रिश्तों की कोई कमी नहीं है “ कुसुम अपनी भाभी सरला से बोली “नहीं जीजी कल ही गुप्ता … Read more

मातृत्व सुख – निशा जैन : Moral Stories in Hindi

आज अन्वी फिर से उदास थी। वो जब भी बाहर पार्क से आती है , उसका यही हाल होता है।एक अनकहा दर्द उसे अंदर ही अंदर खाए जा रहा था। वो किसी से कुछ न कहती पर प्रीत उसका पति उसके चेहरे को देखकर ही समझ जाता कि आज कुछ हुआ है और आज भी … Read more

ढलती सांझ और ये जिम्मेदारियां – निशा जैन : Moral Stories in Hindi

“बधाई हो शशि जी अब तो तीनों बच्चों की शादी हो गई, सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो गई आप। “ “देखते हैं सुलोचना जी जिम्मेदारी से मुक्त हुई हूं या जिम्मेदारी बढ़ेगी समय के साथ…” “अरे भाग्यवान अब कौनसी जिम्मेदारी बढ़ेगी तुम्हारी? अब तो ढलती सांझ है हमारी जिंदगी पता नहीं कब भगवान से घर … Read more

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