निर्णय – निभा राजीव”निर्वी” : Moral Stories in Hindi

श्रद्धा दृष्टि झुकाए मेज पर पड़े प्लेट में खाने से चम्मच से जैसे खेल भर रही थी। वह ऊपर से शांत थी परंतु अंतस में जैसे कोलाहल मचा हुआ था। झुकी दृष्टि से भी सम्मुख बैठे अजय की गहरी दृष्टि जैसे उसे अंतर को भेदती हुई प्रतीत हो रही थी।  अजय ने फिर एक-एक शब्द … Read more

आत्मसम्मान – निभा राजीव”निर्वी” : Moral Stories in Hindi

ऋषि दवाइयों की दुकान पर सिरदर्द की दवा लेने पहुंचा। वहां पहले से ही एक छरहरी सी सुंदर युवती खड़ी थी। ऋषि ने जब दवा का नाम कहा तो केमिस्ट ने कहा,-” सॉरी सर, उस दवा की तो हमारे पास एक ही पत्ती थी जो मैंने इन मैडम को दे दी है।”  ऋषि ने थोड़ा … Read more

टूटते रिश्ते फिर से जुड़ने लगे – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi

वंशिका अपने माता-पिता और भाई के साथ गाड़ी से उतरी ही थी तभी सामने दूसरी गाड़ी से अपने परिवार के साथ वैभव उतरता हुआ दिखाई दिया अचानक दोनों की दृष्टि आपस में जा टकराई दोनों के चेहरों पर अनकही पीड़ा की लकीरें उभर आई। वंशिका ने देखा कि वैभव काफी दुबला हो गया है।              वंशिका … Read more

अनमोल उपहार – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi

करण ने कार में एफ एम ऑन कर दिया और गाना गूंज उठा, ” हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता.. कहीं जमीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता..” ये गाना सुनकर सूनी सूनी आंखों से कार की खिड़की के बाहर ताकती सोनाली ने पीठ पीछे टिकाकर आंखें बंद कर लीं और सोचने लगी.. सच ही … Read more

शुभारंभ – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi

सेंटर टेबल पर रखे सांची का पत्र पढ़कर श्रीधर बाबू कटे वृक्ष के समान भूमि पर गिर गए। हाथों में सांची का पत्र खुला पड़ा था और उनकी आंखें जैसे पत्थर हो गईं थी। उनकी यह अवस्था देखकर उनकी पत्नी सुमित्रा जी दौड़कर आ पहुंची और उन्हें जब झकझोरते हुए पूछने लगी, “- क्या हुआ … Read more

एक बार फिर से – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi

नहा कर आई तनुजा तौलिए से अपनी गीले बाल सुखा ही रही थी कि अचानक उसकी दृष्टि बिस्तर पर पड़े एक उपहार के पैकेट पर पड़ी! उसका हृदय बल्लियों उछल पड़ा है इसी बात की तो वह प्रतीक्षा कर रही थी! आज उसकी वैवाहिक वर्षगांठ थी, और वह बहुत उत्साहित थी… उसे आशा था कि … Read more

नई राह – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi

नंदिनी ने अपार स्नेह और आह्लाद से भरकर अपने अठारह वर्षीय भाई नमन का टीका किया, जो भाई दूज के पावन अवसर पर उससे टीका कराने आया था। भावातिरेक दोनों भाई बहन की आंखें नम हो गई। नंदिनी ने नमन से कहा, “- चल तू बैठ, मैं तेरा खाना लगाती हूं।” नमन ने मुस्कुराते हुए … Read more

भाभी – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi

करुणा अपनी आंखों में खुशियों की नई दुनिया बसाने के ढेर सारे रंगीले सपने लेकर आ गई पिया की नगरी!              तीन बहनों और एक भाई में सबसे बड़ी थी करुणा। पिता एक सामान्य लिपिक थे, अतः आय सीमित ही थी। मगर संतोष और संस्कार का धन अकूत था उनके परिवार में! प्रत्येक आम पिता की … Read more

अपमान का दंश – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi

“मैंने कहा ना माँ, मुझे स्मार्टफोन चाहिए तो चाहिए बस….” 18 वर्षीय जीतू ने तमतमाते हुए कहा। “बेटा, अभी तो इतने पैसे नहीं है लेकिन मैं धीरे-धीरे पैसे जमा कर तेरे लिए अवश्य ला दूंगी… बात को समझने का प्रयास कर बेटा..” तुलसी ने रुआंसे स्वर में उसे समझाने का प्रयत्न किया। “मेरे सभी दोस्तों … Read more

भाग्यहीन – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi

“जाहिल गंवार कहीं की!!! मैंने कौन सी फाइल लाने कही थी और तुम यह क्या लेकर के आई हो… शक्ल के साथ-साथ अक्ल भी घास चरने चली गई है क्या…हे भगवान! यह किसके पल्ले बांध दिया मुझे मेरे मां-बाप ने… मुझसे बड़ा भाग्यहीन कौन होगा जो तुम्हारे जैसी गंवार मेरे मत्थे मढ़ दी गई… अब … Read more

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