रक्षाबंधन – नरेश वर्मा : Moral Stories in Hindi

  नाम तो उसका मनोरमा था पर उसकी पहचान हमारे मोहल्ले में मुन्नी नाम से थी।जिस मध्यमवर्गीय मोहल्ले में हमारा मकान था उससे एक घर छोड़ मुन्नी का परिवार रहता था।मुन्नी के पिता स्थानीय कचहरी में किसी वकील के मुंशी थे।मुन्नी की उम्र उन दिनों १४ या १५ रही होगी। मुन्नी का भाई नहीं था उससे … Read more

चल खुसरो घर आपने – नरेश वर्मा : Moral Stories in Hindi

अमेरिका-डलास के उपनगर इरविंग का रोडियो पार्क।जनवरी का महीना।तीन डिग्री सेल्सियस तापमान ।तेज हवा के झोंके शरीर में नश्तर की तरह चुभ रहे हैं ।सीमेन्टेड शेड पर पड़ी बेंच पर बैठे वह पार्क के सूने रास्तों को निहार रहे हैं ।पत्ते विहीन सूनी शाख़ों वाले धुंध में निस्तब्ध खड़े वृक्ष उन्हें हमजोली से लग रहे … Read more

मैं और मेरा रिटायरमेंट – नरेश वर्मा : Moral Stories in Hindi

 नौकरी से सेवानिवृत्त होने के पश्चात संयोग से यदि आप बेटा-बहु के साथ रह रहे हैं तो कुछ ड्यूटियाँ आप पर स्वतः थोप दी जाती हैं ।इनमें मुख्य हैं बच्चे को स्कूल की बस तक छोड़ने और लेने जाना और दूसरी मोहल्ले के सब्ज़ी वाले से साग-भांजी ख़रीदना ।इन ड्यूटियों को करने या न करने … Read more

दहेज – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

मेरे रिश्तेदार के यहां लड़की की शादी थी हम सब लोग वहां गए l उनकी सबसे बड़ी बेटी थी काफी खोज भी करने के बाद अच्छा रिश्ता मिला था l लड़का इंजीनियर था छोटा परिवार था l लड़के वालों को भी लड़की पसंद थी l वह काफी खुश थे l उन्होंने मुझे बताया की लड़के … Read more

आ अब लौट चलें- नरेश वर्मा : Moral Stories in Hindi

  ट्रेन किसी पुल से गुजर रही थी।खिड़की के बाहर नदी के नाम पर दूर तक एक रेतीला मैदान भर था।पटरियों से गूंजते खट-पट के स्वरों के मध्य पुल के गुजरते खंबे ही अहसास करा रहे थे कि ट्रेन किसी नदी से गुजर रही है ।पिछली बार जब वह घर से विद्रोह करके गई थी तब … Read more

दूसरी पारी का वह पहला दिन – नरेश वर्मा 

सोचा था कि आज देर से सोकर उठूँगा क्योंकि यह एक बंधन मुक्त सुबह होगी ।किंतु शरीर जो इतने वर्षों से चली आ रही दिनचर्या का अभ्यस्त रहा था उसने नियत समय सुबह के साढ़े पाँच बजे आँखें खोल दीं।अब शरीर का भी क्या दोष ,उस बेचारे को तो नहीं पता था कि इस सुबह … Read more

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