गृहप्रवेश (भाग 5) – मंजरी त्रिपाठी

नहीं नताशा ऐसी कोई बात नहीं है।मुझे तुम्हारे भाई की सगाई से भला क्या दिक्कत हो सकती है।मुझे ना खुशी है और ना ही कोई दुख। अरे आप ऐसे कैसे बोल रहे हैं….कोई बात हुई है क्या??मिहिर की बात सुनकर नताशा चोंकते हुये बोली। कोई बात नहीं हुई नताशा बस मैं आश्चर्यचकित हूँ कि तुम … Read more

गृहप्रवेश (भाग 4) – मंजरी त्रिपाठी

नताशा और मिहिर अपनी नई गृहस्थी में प्रसन्न थे।और अब तो नताशा कतई चिंतामुक्त थी।उसे अब कोई भय नहीं था मिहिर की तरफ से,वो अपनी माँ को भी सारा घटनाचक्र बताती रहती है और उनके दिशानिर्देश पर चलते हुये ही मिहिर के साथ अपनी नई और अलग गृहस्थी बनाने में सफल हो पाई थी। उधर … Read more

गृहप्रवेश (भाग 3) – मंजरी त्रिपाठी

आज नताशा मिहिर और माधव को गये दो दिन हो गये।जानकी जी कई बार दौनो के कमरे में जाती और सूना कमरा देख कर सीने पे हाथ रखे बाहर आ जातीं।जगदीश जी से उनकी हालत नहीं देखी जाती।वो बार बार समझाते कि देखो जानकी चिड़िया और चिड़ा बहुत मेहनत और लगन से घौंसला बनाते हैं … Read more

गृहप्रवेश (भाग 2) – मंजरी त्रिपाठी

अब बहुत हो गया,अब मेरा इस घर में गुजारा मुश्किल है।आप मुझे एक कमरा लेकर दे दो मैं रह लूंगी पर अब इस घर में नहीं रह सकती,लगभग झुंझलाते हुये नताशा मिहिर से बोली। अभी तीन वर्ष पहले ही इस घर में दुल्हन बन कर आई नताशा एक बेटे की माँ बन चुकी थी,पति मिहिर … Read more

गृहप्रवेश (भाग 1) – मंजरी त्रिपाठी

अब बहुत हो गया,अब मेरा इस घर में गुजारा मुश्किल है।आप मुझे एक कमरा लेकर दे दो मैं रह लूंगी पर अब इस घर में नहीं रह सकती,लगभग झुंझलाते हुये नताशा मिहिर से बोली। अभी तीन वर्ष पहले ही इस घर में दुल्हन बन कर आई नताशा एक बेटे की माँ बन चुकी थी,पति मिहिर … Read more

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