तुलना-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“अंबा! बापू के बातों का बुरा नहीं मानते•• चल कपड़े बाहर निकाल! राधा अपनी बड़ी बेटी जो पेटी में कपड़े डाल वहां से जाने की तैयारी कर रही थी, से बोली। अम्मा! मुझे रूकने के लिए मत बोल भले ही मैं सन्नो जैसी अमीर घर में नहीं ब्याही गई परंतु मेरा भी कुछ स्वाभिमान है! … Read more

संयुक्त परिवार-मनीषा सिंह

” मैं नहीं रह पाऊंगी यहां••! चार महीने से गर्भवती शक्ति पसीना पोछते पति अनिल के सामने वाली कुर्सी पर बैठते हुए बोली।  अब तनिक आराम तो कर लो श्रीमती जी••! अनिल फौरन शक्ति के पैरों को अपने गोद में रखते हुए बोला । आराम••? ये आराम वाली बात  ना ही बोल तो अच्छा है••! … Read more

रिश्ते प्यार से चलते हैं ना की मजबूरी से -मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“बस बहुत हो गया संपदा••! तुझे अब वहां जाने की जरूरत नहीं! संपदा की मां सुमित्रा जी गुस्से से  बोलीं ।   ‘मां!आप सही कहती थीं कि मुझे सारांश से शादी नहीं करनी चाहिए! अब मैं पछता रही हूं! कहते हुए संपदा रोने लगी।  बस बेटा! अभी कुछ नहीं बिगड़ा है सब कुछ छोड़-छाड़ के यहां … Read more

बंटवारा – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

मां! बड़ी मम्मी और बड़े पापा आए हैं मैं उन्हें प्रणाम करके आती हूं••! आप भी चलो!  “तुझे जाना है तु जा”पर••वहां बैठने का काम नहीं! फटाफट चली आना! और ज्यादा दादी-नानी बनने की जरूरत नहीं! ठीक है••! उदास होकर अनुष्का वहां से चली गई।  क्यों शादी-शुदा बेटी को डांटती रहती हो ? राजेश बाबू … Read more

ग्रहण-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“मुक्ता••! आज तुम दूसरे कमरे में जाकर सो जाओ••!  क्यों•• क्या हुआ ? आपकी तबीयत तो ठीक है ••? हां-हां तबीयत ठीक है ! कुछ प्रोजेक्ट्स सबमिट करनी हैं इसलिए कुछ दिन ऑफिस का काम घर पर ही करूंगा !    मेरे साथ सोने में तुम्हें दिक्कत होगी इसलिए कह रहा हूं ! नजरे चुराते हुए … Read more

स्नेह का बंधन – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

पिछले ‘एक साल’ से बोल रहा हूं  “मां” चलो हमारे साथ•• ! ‘ पापा की बरसी ‘भी खत्म हो गई•• अब तो मुझे बेटा होने का फर्ज निभाने दो••और अपनी सेवा का मौका दो•• ! पापा भी नहीं रहे•• एक गहरी सांस छोड़ते हुए•• कम से कम तुम अगर हमारे साथ रहोगी तो हमें अच्छा … Read more

ननद-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“बेटा••!अब मैं ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहूंगी•• लेकिन जाते-जाते तुझसे एक वादा लेना चाहती हूं••! रीना जी अपनी बेटी केतकी का हाथ अपने हाथ में लेते हुए बोलीं।  “मां•• प्लीज! ऐसी बात दोबारा अपनी जुबान पर मत लाना आप ठीक हो जाएंगी! कुछ नहीं होगा आपको••!   ये सब तो मन बहलाने वाली बात हैं मुझे … Read more

एक फैसला आत्म सम्मान के लिए-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

मामी जी•• हमें आपके सामान की भी••  तलाशी लेनी होगी! कृपया  अपना बैग खोलें ! क्या पर क्यों •••?अभ्यांस के ऐसे बोलने से शांति जी घबरा गई । और कुछ देर रुक के, अपना बैग चेक करवाने लग गईं । देखिए••• हम लोग सिर्फ अपनी तसल्ली के लिए ऐसा कर रहे हैं आप सब कृपया … Read more

कामचोर-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

 “शोभा के बेटे की शादी” अब तक नहीं हुई !उम्र कम नहीं 40 का हो गया•• परंतु एक भी रिश्ता नहीं आ रहा !शोभा जी की पड़ोसन कमला अपनी सखी शकुंतला से बोली।  हां बहन••! लड़की की शादी में अगर देर  हो जाए तो बात समझ में आती है पर यहां तो शोभा बहन, अपने … Read more

टूटे रिश्ते जुड़ने लगे-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

क्या कहा• मामा जी हमारे घर आ रहे हैं? पर उन्हें पता नहीं कि हमारा छोटा सा फ्लैट है••?  हां सीमा, पता है पर उनकी मजबूरी है । दिल्ली जैसे बड़े शहर में हमारे सिवा उनका है कौन••? और वैसे भी वह डॉक्टर से दिखा कर वापस चले जाएंगे••! रवि बोला।    क्या डॉक्टर को दिखलाने … Read more

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