जिल्लत के छप्पन भोग – मनीषा भरतीया : Moral Stories in Hindi

बाबूजी कब तक मुफ्त की रोटियां तोड़ते रहेंगे?? चलिए उठिए  जाकर बाजार से सब्जी और फल ले आइए…. और हां यह लीजिए 10 किलो गेहूं  है…”इसका आटा भी पिसवा कर ले आइएगा!  “लेकिन प्रिया बेटा तुम तो जानती हो कि मैं 10 दिन से बुखार से पीड़ित था… आज अभी तो बुखार उतरा है… मेरे … Read more

उधार की जिंदगी – मनीषा भरतिया : Moral Stories in Hindi

सुधा सुन रही हो क्या?? यह फ्रीज खाली कर देना…. अभी साइड बाय साइड नया फ्रिज थोड़ी देर में आ जाएगा….”पर सुरेश एक बात पूछूं… हमारा डबल डोर फ्रिज तो एकदम ठीक चल रहा है…. ज्यादा टाइम भी नहीं हुआ.. उस फ्रिज को सिर्फ 4 साल ही तो हुए हैं… फिर तुम उसे क्यों बदलना … Read more

रिश्तों की मिठास – मनीषा भरतिया : Moral Stories in Hindi

अनुभव सुनो संगीता दीदी का फोन आया था वह लखनऊ से कोलकाता आ रही है ….  जीजाजी और बच्चों के साथ….१० दिन हमारे साथ ही रहेगी.. उन्होंने आपको भी फोन किया था….. पर आपने अच्छे से बात नहीं की…. यह ठीक नहीं है माना हमारे रिश्तों में दरार आ गई है…..  उन्होंने सालों से हमारे … Read more

तुम दिन भर करती क्या हो – मनीषा भरतीया : Moral Stories in Hindi

सुजाता मेरी नीले रंग की शर्ट कहां है, अलमारी में दिखाई नहीं दे रही??? मैंने तुम्हें परसों ही बताया था, ना कि मेरी हिंदुस्तान क्लव में विदेशी क्लाइंट के साथ मीटिंग है|……  फिर तुमने मेरी शर्ट इस्त्री क्यों नहीं की??? अब बताओ क्या पहनू मैं,मुझे कोट के साथ वही मैचिंग शर्ट पहननी थी | तुम … Read more

लोग क्या कहेंगे – मनीषा भरतीया : Moral Stories in Hindi

सुरेंद्र शर्मा जी का 3 मंजिला मकान फूलों की लताओं और बिजली की लड़ियों से घिरा हुआ था.हॉल सुंदर,आकर्षक बड़े हैलोजन, डिजाइनर फूलों के टब,और फ्लोटिंग कैंडल से सजा हुआ था. पूरा मकान जगमगा रहा था. बाहर लॉन में फूलों की सुंदर बागवानी तो थी.. साथ ही साथ शर्मा जी ने एक्सपेंसिव फूलों के ढेरों … Read more

बेगाने शहर मे अपना सा कोई! – मनीषा भरतीया : Moral Stories in Hindi

“अरे करमजली सोती ही रहेगी क्या? इतना काम पड़ा है कौन करेगा?” “आई चाची” कहकर नीता उठने लगी। नीता जब 10 साल की थी, उसके माता-पिता की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। बस तभी से चाची की जली कटी बातें सुनकर नीता बड़ी हो रही थी। नीता घर का सारा काम करती, … Read more

स्वाभिमान – मनीषा भरतीया : Moral Stories in Hindi

बाबूजी बाबूजी मुझे भी भाई की तरह एक साइकिल दिला दो ना क्योंकि हमारे गांव में तो कक्षा 10 तक ही स्कूल है…मुझे आगे पढ़ने के लिए हमारे गांव से 5 किलोमीटर दूर पढ़ने जाना पड़ेगा…. हां हां लाडो मुझे याद है मैं कल ही तेरी साइकिल की व्यवस्था करता हूं….. तभी रानों की दादी … Read more

शादी का लड्डू खाकर ही पछताया जाए! – मनीषा भरतीया : Moral Stories in Hindi

एक तो पहले ही शादी शब्द से ही मन में कुलबुलाहट सी होने लगती है यह सोच कर कि शादी के बाद क्या होगा कितनी जिम्मेदारियां होंगी… सारी आजादी छीन जाएगी वगेरह वगेरह?? “क्योंकि ज्यादातर केस में शादी से पहले लड़का और लड़की दोनों ही थोड़े अल्हड़ और गैर जिम्मेदाराना रहते हैं, ना वक्त से … Read more

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