जिल्लत के छप्पन भोग – मनीषा भरतीया : Moral Stories in Hindi
बाबूजी कब तक मुफ्त की रोटियां तोड़ते रहेंगे?? चलिए उठिए जाकर बाजार से सब्जी और फल ले आइए…. और हां यह लीजिए 10 किलो गेहूं है…”इसका आटा भी पिसवा कर ले आइएगा! “लेकिन प्रिया बेटा तुम तो जानती हो कि मैं 10 दिन से बुखार से पीड़ित था… आज अभी तो बुखार उतरा है… मेरे … Read more