चलो न पापा – लक्ष्मी रानी लाल : Moral Stories in Hindi
सारी रात की मूसलाधार बारिश अब तक रिमझिम फुहारों में तबदील हो चुकी थी। श्यामल जी खिड़की के पास कब तक खड़े रहे, उन्हें भान न था । नि:शब्द धुंधलाती बरसती आँखों को चुपके से उन्होंने पोंछा । खिड़की के पास खड़े-खड़े उनके पाँवों में ऐंठन सी होने लगी थी । ‘पापा…. चाय! आप कब … Read more