महत्वपूर्ण कौन? पैसा या रिश्ता – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

मीरा अपनी बेटी ममता के साथ बेटे की शादी की शॉपिंग करके घर पहुंची तो उसने ड्राइंग हॉल मे सास और पति के साथ अपनी ननद को भी बैठे हुए देखा। ननद के आने की जानकारी उसे नहीं थी इसलिए उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन उसने सोचा अच्छा ही है दीदी आ गईं है तो … Read more

 सुधार कभी भी सम्भव है – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

विभा अपने कमरे मे बेचैन हो कर  इधर उधर घूम रही थी। जैसे जैसे समय व्यतीत हो रहा था उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। कभी सोचती आज शाम ही नहीं होता, कभी सोचती रमेश ऑफिस से ही कही टुर पर चले जाते तो अच्छा रहता। उसकी सोच पर कोई लगाम ही नहीं था। कुछ … Read more

प्यार से समस्या का समाधान – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

सर्दियों का दिन था। रमा जी और रविकांत जी लॉन मे बैठकर धुप सकते हुए आपस मे बाते कर रहे थे। दोपहर के ढाई बज रहा था। धुप भी अब लॉन से जाने लगा था। रविकांत जी को जोरो की भूख लगी थी। सुबह से उन्होंने सिर्फ फल खाया था।जब भूख बर्दास्त नहीं हुआ तो … Read more

धैर्य – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

रीता को गुमसुम बैठी देखकर उसकी भाभी ने पूछा – क्या हुआ रीता यु उदास क्यों बैठी है? हूँ, कुछ सोच रही थी। क्या, राकेश भैया के बारे सोच रही है? भाभी ने पूछा। नहीं, भाभी अब उनके बारे मे सोचने के लिए क्या बचा है। रीता ने कहा।तब किसके बारे मे सोच रही है … Read more

दोस्ती – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

 मधु, मालती दोनों पक्की सहेली थी। लगता था जैसे इन दोनों के बीच में “और” लगाना ही नहीं है,एक का नाम लो तो दूसरे का नाम अपनेआप मुँह पर आ जाता था। उनका कोई भी काम एक दूसरे के बगैर होता ही नहीं था। जब सहेलियाँ है तो स्कूल कॉलेज तो साथ जाएंगी ही परन्तु … Read more

सुबह का उजाला – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात, यह कहावत आज रीता पर सटीक बैठ रहा था। बेचारी ने अपने जीवन मे चार दिन का पति सुख प्राप्त किया और आज वह जब उसकी विधवा बनकर रो रही है, चिल्ला रही है, बार बार बेहोश हो रही है, अपने पति का नाम ले लेकर पुकार रही … Read more

दहेज – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

सुधीर, सुधीर कहाँ हो? चिल्लाते हुए सीमा अपने पति के पास पहुंची,जो अपने दोस्तों से गप्पे लड़ा रहा था। उसे दोस्तों के साथ देखकर गुस्साते हुए बोली “कब से तुम्हें बुला रही हूँ, सुनाई नहीं दे रहा, बहरे हो? लगता है मेरे पापा ठगे गए है।” यह सुनकर सुधीर सीमा को आँखे दिखाते हुए बोला … Read more

चौका की साड़ी – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

बहु तुमने यह साड़ी क्यों पहन रखी है? जब मैंने तुम्हे यह पहनने को मना किया था और कहा भी था कि मैंने तुम्हारे लिए बहुत ही कीमती साड़ी ला कर रख दिया है तो तुम्हे क्या जरूरत थी इसे पहनने क़ी। तुमने यह भी नहीं सोचा कि ऐसी हल्की साड़ी पहनकर विधि – व्यवहार … Read more

ईर्ष्या – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

 गीता का  घर के किसी भी काम मे मन नहीं लगता था.। माँ के कहने पर वह बिना मन के जैसे तैसे कर के काम निबटा देती थी। देखने मे भी वह साधारण ही थी। उसके रवैये से उसकी माँ परेशान रहती थी तथा चिंता करती थी कि पता नहीं इसकी शादी कैसे होंगी, इसे … Read more

स्नेह का बंधन – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

   कल राखी है। समझ नहीं आ रहा है कि माधुरी के लिए उपहार कहाँ से लाऊंगा? बिजनेस पूरा ठप पड़ा है। अब तो घर खर्च के लिए भी सोचना पड़ रहा है। समय अनुकूल हो तो सभी मित्र होते है लेकिन जैसे ही परिस्थिति विपरीत होती है सगे संबंधी भी पराये हो जाते है। जाने … Read more

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