अहंकार रिश्तो का दुश्मन है – लतिका पल्लवी

भैया का फोन था,पर मैंने साफ साफ कह दिया कि आने का कोई सवाल ही नहीं है. बार बार पूछने पर अनिरुद्ध जी नें अपनी पत्नी कांति जी को बताया।आज इतने दिनों बाद किसलिए बुला रहे है? कांति जी नें जानना चाहा।छोड़ो हमें क्या करना है? जब जाना ही नहीं है तो आगे इस बात … Read more

गृहणी की भी उम्र बढ़ती है – लतिका पल्लवी

सुनाइ नहीं दे रहा है? कब से डोरबेल बज रहा है।कहाँ हो खोलना नहीं है?सुन रही हूँ।आ ही रही हूँ। मुकुंद जी की बात को सुनकर उनकी पत्नी कालिंदी जी नें जबाब देते हुए दरवाजा खोला। दरवाज़े पर पड़ोस के वर्मा जी खडे थे। उन्हें देखकर कालिंदी जी नें कहाँ आइये भाई साहब अंदर आइये. … Read more

लोभ का फल – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

 वैभव,वैभव कहते हुए माँ नें वैभव के कमरा मे प्रवेशकिया। बोलो माँ कुछ काम है क्या?तुम्हारी सारी तैयारी हो गईं?तो जाओ अब जाकर सो जाओ।कल सुबह पांच बजे के बस से चलेंगे तो समय पर भोपाल पहुंच सकेंगे और फ्लाइट पकड़ पाएंगे। सुबह जल्दी उठना पड़ेगा वैभव नें कहा।हाँ सोने ही जा रही थी पर … Read more

गलत सलाह से माँ द्वारा बचाव – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

फोन की आवाज़ से महक की नींद खुली। वह उठकर फोन उठाने ही वाली थी कि तभी उसकी बेटी ने फोन उठा लिया। फोन उसकी बारह वर्षीय बेटी स्वीटी की दोस्त सोनम का था। यह जानकर महक ने फिर से आँखें मूँद ली तभी उसे सुनाई दिया की उसकी बेटी कह रही है कि सोनम … Read more

वक़्त पर काम आना – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

“आजकल के बच्चों की यह बात मुझे एकदम पसंद नहीं आती है,जो कमाया सभी उड़ा दिया।आड़े वक़्त के लिए कुछ बचा कर रखते ही नहीं है।अब कुछ विपप्ति आई तो चलो किसी के आगे हाथ पैर जोड़ने।तुम्हारी शादी में इतना लेनदेन किया फिर भी मुझसे उम्मीद रखती हो। अब कहाँ से दूँ।”पापा की बात सुनकर … Read more

बच्चे भी सब समझते है – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

विभा अपने कमरे में बेचैन होकर इधर-उधर घूम रही थी। जैसे-जैसे समय व्यतीत हो रहा था, उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। कभी सोचती — आज शाम ही नहीं होता, कभी सोचती — रमेश ऑफिस से कहीं टूर पर चले जाते तो अच्छा रहता। उसकी सोच पर कोई लगाम ही नहीं था। कुछ-कुछ सोच रही … Read more

दिखावटी जिंदगी – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

अमित, सुनो ऑफिस जाने के पहले मुझे हज़ार रुपए देकर जाना,निभा नें अमित से रोटी बनाते हुए रसोई घर से कहा। हजार रुपए क्या करोगी,महीना का आखरी सप्ताह है,पैसे कहाँ है इतने मेरे पास?अमित के इतना कहते ही निभा रोटी बनाना छोड़कर ड्राइंग हॉल मे आकर बोलने लगी। मेरे लिए तुम्हारे पास पैसे रहते ही … Read more

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