वो देहरी… – कविता झा ‘अविका’ : Moral Stories in Hindi

मांँ के पास आए हुए रिती को एक महीना पूरा होने को था और उसकी वापसी का समय भी नजदीक था। अगले ही दिन की ट्रेन थी। स्कूल की छुट्टियांँ खत्म हो गई थी तो अब वापस जाना जरूरी था वरना प्राइवेट स्कूल वाले टीचर को छुट्टी कहांँ देते हैं। रिती अपने पिता के समझाने … Read more

दीदी यह पहले आपका घर है और हमेशा रहेगा – कविता झा ‘अविका’: Moral stories in hindi

“मां भाभी को आज मेन रोड पर देखा था कैसे कपड़े पहने हुए थे उन्होंने। तुम उन्हें कुछ नहीं कहतीं। उन्हें तो जरा सी भी शर्म लिहाज नहीं है। ससुराल में कैसे रहना चाहिए उनकी मां ने तो उनको कुछ सिखाया ही नहीं पर तुम कैसे उन्हें ऐसे बाहर जाने देती हो?  कितने जान पहचान … Read more

हर कदम पर तुम्हारा साथ दूंगा – कविता झा ‘अविका’  : Moral stories in hindi

आंटी रोटी… यह आवाज सुन पांच  साल की अंजलि दौड़ती हुई अपनी बालकनी में आई और अपनी एड़ी ऊपर उठाकर बालकनी की रेलिंग से झांकने लगी।  वो लड़का आज भी मैले फटे कपड़े पहने कांधे पर एक गंदी बड़ी सी बोरी टांगें गेट के पास खड़ा हो बड़ी ही हसरत से आवाज लगा रहा था। … Read more

रिश्तों में आई दरार – कविता झा ‘अविका’: Moral stories in hindi

दोस्तों के बहकावे में आकर मैंने अपना वो पुस्तैनी मकान बेच दिया था। मां ने कई बार मुझसे कहा था कि… ” सुहास इसमें  तुम्हारी बहनों का भी हक बनता है, तुम्हें उनका हिस्सा दे देना चाहिए। बहनों को देने से बरक्कत ही होती है और पिता के बाद तुम्हीं पर पूरा दायित्व आ जाता … Read more

पिंजरा खोल दिया – कविता झा’काव्य ‘अविका” : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : रमा संयुक्त परिवार में रहती है जहांँ एक को चोट लगे तो दर्द दूसरे को होता है या यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि एक के हिस्से का काम दूसरे के हिस्से में आ जाता है। उसके घर में बहुत सारे खरगोश और गिनी पिग हैं।  जिनकी देखरेख उसकी जेठानी … Read more

पापा जी – कविता झा’काव्य ‘अविका” : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : रसोई घर में रोटी बेलती सारिका की आंँखों से आंँसू लगातार बह रहे थे। संयुक्त परिवार में कहने के लिए सब साथ-साथ रहते थे पर वो तो सिर्फ़ इतना जानती थी कि सब बस हर बात पर उसे और उसके माता-पिता को ज़लील करने की फ़िराक में रहते थे। आज … Read more

एक और मौका- कविता झा’काव्य ‘अविका”: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : रात का अंधेरा बढ़ता जा रहा था रीतिका बार बार बालकनी में जाती और गली के दोनों तरफ अंतिम छोर  तक देखती फिर स्याह बादलों से घिरे आसमान की तरफ देखती।  रात के डेढ़ बज रहें हैं और रागिनी अभी तक घर नहीं आई। फोन भी उसका स्विच ऑफ आ … Read more

वो जादुई आंँगन – कविता झा : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: राधिका की आँखों से आँसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। जब से उसके पड़ोस में रहने वाली मंजुला दीदी का फोन आया और उन्होंने उसका हाल पूछने के बाद बताया कि, ” तुम्हारे मायके वाला वो घर पिछले महीने बिक गया है जो हमारे घर के पास था, … Read more

ससुराल कोई भूतिया कोठी तो नहीं – कविता झा ‘काव्य’ : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : राधिका ट्युशन से आई ही थी कि उसके पापा उसके सिर पर हाथ रख कर उसकी मनपसंद मिठाई का एक टुकड़ा उसे खिलाते हुए कहते हैं,” गुड़िया बैठ हमारे पास, तुझे कुछ बताना है। आज ही तेरे ससुराल वालों ने शादी की तारीख तय कर दी है। अगले महीने ही … Read more

क्या रिश्ता है तुझसे मेरा- कविता झा  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : दयमंती का बुखार उतरने का नाम नहीं ले रहा था, तीन दिन हो गए थे। वो तीन बच्चों की माँ बिस्तर पर बुखार में तप रहीं थीं।  उनकी जिद्द थी कि शादी के बाद बेटियां पराई हो जाती हैं उन पर हमारा कोई अधिकार नहीं रहता है इसलिए कुछ भी … Read more

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