दिँखावे की ज़िंदगी – करुणा मालिक : Moral Stories in Hindi

पूनम , ज़रा तैयार रहना …मैं तुम्हें लेने आ रहा हूँ, वकील की माताजी का निधन हो गया है, वहीं चलना है । वकील  की माताजी? मतलब मेहरा भाई साहब की ?  हाँ- हाँ… बस पाँच मिनट में पहुँच रहा हूँ …. उनकी बड़ी बहन पहुँचने वाली है बस उनका इंतज़ार हो रहा है । … Read more

नफ़रत की दीवार – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

आज दुबारा मनीषा के पापा का फ़ोन आया था …पुष्पा ! तुमने कुछ सोचा …. संजू से बात की क्या?  नहीं जी …. बस देविका से थोड़ा ज़िक्र किया था पर उसकी बातों से ऐसा लगा कि वो इस हक़ में नहीं कि मनीषा की छोटी बहन से संजू की शादी हो ….. आपको याद … Read more

अनाम रिश्ता – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

आज फिर एक बच्चे को बाय बोलकर सिस्टर रुबि थोड़ी उदास हो गई । तभी उनकी सहकर्मी चेतना बोली —- सिस्टर रुबि , आप बहुत ज़्यादा इमोशनल हैं । मरीज़ तो आते- जाते ही रहते हैं, आप क्यों इतनी उदास हो जाती हैं । अरे नहीं चेतना …. उदास नहीं हूँ । बस एक ख़ालीपन … Read more

वचन – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

बेटा ! अब इस घर में तुम्हारे लिए बचा ही क्या है जो तुम अंतिम हवन के बाद यहीं रहना चाहती हो ? अजित के कारण ही तो तुम्हारा संबंध था इन सब से ….. मम्मी प्लीज़, धीरे बोलिए….अगर माँ या बाबा ने सुन लिया तो उनके दिल पर क्या बीतेगी? ये बात सही है … Read more

सच्ची हक़दार – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

रेखा ने सारी अलमारी छान मारी पर एक भी सूट या साड़ी ऐसी नहीं लगी जो अपनी देवरानी स्वाति के विवाह के बाद के पहले जन्मदिन पर भेंट कर सके । उसे सात महीने में ही स्वाति से अपनी छोटी बहन की तरह इतना प्यार हो गया था कि सास की उनका आपसी मोल्डोवा आँखों … Read more

जौहरी – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

जब सगाई का सामान लेकर आए श्वेता के होने वाले सास- ससुर को विश्वंभरनाथ जी ने  शगुन का लिफ़ाफ़ा पकड़ाया तो उन्होंने माथे से लगाकर मेज़ पर रखते हुए कहा —- हमारे ख़ानदान में लेने- देने की जगह रिश्तो में प्यार  औरअपनापन  हो , इस बात पर ज़्यादा ध्यान दिया जाता है।आप अपने जीवन की … Read more

तपस्या – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

कमरे में चारों ओर फूलों की सुगंध फैली थी । बेड के सामने रखी मेज पर लाल गुलाब के बुके रखे थे । आज बत्तीस साल की नौकरी के बाद पवित्रा रिटायर हुई थी । उसने हाथ में पकड़ा गर्म दूध का गिलास बराबर की साइड टेबल पर रखा और आराम से अधलेटी हो गई … Read more

सहयोग – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

सारंधा , तुम इतनी जल्दी सोने के लिए पहुँच गई, कमाल हो गया भई ! आज सास बहू की रात्रि- बैठक  नहीं हुई क्या ? मेरे सिर में बहुत दर्द है, प्लीज़ चुप रहो । ज़रा पैरों पर कंबल डाल देना …मैं सो रही हूँ ।  इतना कहकर सारंधा आँख बेद करके लेट गई । … Read more

पहचान – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

मम्मी! मुझे भी रोटी पर मक्खन खाना है । चाची ने मीनू दीदी को मक्खन दे दिया और मुझे नहीं….. कोई बात नहीं गीतू , अच्छा ये तो बता …. तुम्हारे पेपर ख़त्म हो जाएँगे ना आज ? फिर कल तो गीतू मामा के घर जाएगी । जाओ ,  स्कूल बस आने  वाली होगी ।  … Read more

दूसरी रसोई – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

माँ, अगर मेरी पत्नी की जगह आपकी बेटी होती तो क्या आपका तब भी  इतनी सी बात पर यही फ़ैसला होता कि एक घर में दो रसोई बना दी जाएँ ?  मुझसे बहस करने की ज़रूरत नहीं है । मैं तो बेटी मानकर इसे घर में लेकर आई थी और बेटी मानकर ही समझाती हूँ … Read more

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