बेस्ट सास-बहू जोड़ी – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

अम्मा ! भाभी से बात कर ली क्या आपने ? कौन सी बात …. और उससे मैं क्यों बात करुँगी किसी भी बारे में? मैं क्या उसकी धौंस में रहती हूँ । अरे अम्मा, बताया तो था कि मेरी बड़ी ननद की देवरानी की बेटी की कोई ट्रेनिंग है , एक महीने की …. तो … Read more

बादल छँट गए – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

मम्मी !  आज  फिर परम की मम्मी  की पाँच- सात रिश्तेदार आकर  बैठ गई और मेरी पूरी दोपहर ख़राब कर दी । सोचा था कि लंच के बाद आराम से सोऊँगी पर मेरा ऐसा नसीब कहाँ?  ऐसी कौन  सी  रिश्तेदारी की औरतें आ  गई थी आज ? हद हो गई भई , शादी के दो … Read more

प्रायश्चित – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

अम्मा! राखी का फ़ोन आया था रात , उसके देवर की इच्छा है कि सगाई और शादी के बीच कम से कम चार – छह महीने का तो अंतर रखें । इतनी जल्दी में ना तो प्री वेडिंग शूट ढंग से हो पाते हैं और ना ही एक-दूसरे  को जानने समझने का मौक़ा मिलता है … Read more

जीने की कला – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

मैं ज़रा दो घड़ी कल्याणी के पास जाने की सोच रही हूँ । चाय पीनी हो तो बना दूँ ? , मंगला ने अपने पति से कहा । अभी तो चाय की इच्छा नहीं…. बहुएँ तो घर में ही है ना ? पीनी होगी तो कह दूँगा चाय बनाने को …. तुम जाओ । कब … Read more

 ये हुई ना बात : Moral Stories in Hindi

माँ! आपने काजल को भात में जाने के लिए कह दिया ना ? मैं क्यूँ कहूँगी भला ? तेरे बेटे की शादी है । तुझे ले जाना हो भात नोतने में उसे ….तो कह दे नहीं तो जाने दे । चलो , मैं फ़ोन करती हूँ । माँ, कैसी बात कह दी आपने ?  आपके … Read more

 झूठ के पाँव नहीं होते : करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

वो ज़माना तो गया बहनजी….जब बस घर-बार देखकर लड़कियाँ ब्याह दी जाती थी । मुझसे मत कहना अपने छोटे बेटे का रिश्ता बताने को । तुम्हें बहू नहीं चलता फिरता रोबोट चाहिए । जैसे तुम्हारे लच्छन है ना …. ब्याह तो होने से रहा ।  इतना कहकर रिश्ते कराने वाली सरस्वती तेज़ी से निकल गई … Read more

मन की गाँठ – करुणा मलिक : Stories in Hindi

दीदी ! रोमा की शादी में तो जीजा जी आए नहीं थे पर इस बार वीरेन की बारात उनके बिना नहीं जाएगी, कह देना उनको । अभी रिश्ते की बात चल रही है सिर्फ़….. इसलिए पहले से ही निमंत्रण  भेज रही हूँ अपने ननदोई को, ऐसा ना हो कि बाद में बोले , ये काम … Read more

मुखौटे – करुणा मलिक: Moral Stories in Hindi

कई दिन से रेशमा का मन उदास था । पिछली गली में रहने वाली उसकी छोटी बहन राखी बीमार थी । रेशमा को अकेले जूता  फ़ैक्ट्री में जाना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था पर क्या करे ? मज़दूर अगर मज़दूरी पर नहीं जाएगा तो शाम को खाएगा क्या ? बस यही सोचकर वह काम पर … Read more

क़सम – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

दो दिन से घर में मातम परसा था । मिथलेश ने तीसरी बेटी को जन्म क्या दे दिया कि ससुराल वालों ने तो जैसे  उसका हुक्का- पानी ही बंद कर दिया था । वो तो अच्छा हुआ कि जचगी के बाद घर की नाइन उसके पास आ गई थी और मिथलेश ने आबोहवा पहचान कर … Read more

मेरे अपने – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

लाजो सुबह जल्दी उठकर खेतों की तरफ़ चल उठी । मन ही मन सोच रही थी—- दस बजे तक हाथ चलवाकर , खुद साथ खड़ी होकर गेहूँ कटवाऊँगी  । जेठ- देवरों के सहारे जीवन कटने से रहा …..दो  साल हो गए… पूरी ज़मीन उन्हीं को सौंप रखी थी ये सोचकर कि बच्चे की पढ़ाई का … Read more

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