पुस्तैनी घर – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू  : Moral Stories in Hindi

ऐ जी सुनों ना चलो चलते है छोटे बेटे बहू के घर ,इतना बुलाया पर हम लोग जा नही पाये।अब तो ईश्वर की कृपया से बड़ी बहू ठीक ठाक है , कहते हुए सुबह का नाश्ता ‘ छाछ का गिलास ‘  पकड़ाते हुए रन्नो बगल में रखी मचिया को खीच कर बैठ गई। इस पर … Read more

जरूरत – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

बेटे के साथ अनजान लड़की को दरवाजे पर खड़ा देख मेरे तो होश उड़े गए  मन तमाम शंकाओं से भर गया फिर भी संयत रखते हुए  औपचारिकता वश पूछा ही लिया ये कौन है ,इस पर बेटे ने कहा चलो भीतर तो चलो बताता हूं कि यही दरवाजे पर ही खड़े खड़े सब बता दूं। … Read more

नई ऊर्जा – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

उम्र के तीसरे पड़ाव पर आकर राम बाबू एक दम खामोश हो गए पहले तो थोड़ा बहुत बोलते भी थे वो भी पत्नी से मगर अब उससे भी नही बोलते।जो मिल जाये खा लेते हैं जो मिल जाये पहने लेते हैं, यूं कह लो कि बस जैसे तैसे अपनी जिंदगी गुजारा रहे हैं। बिना किसी … Read more

 सूझबूझ – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

रमा जैसे ही नाश्ता लेकर कमरे में दाखिल हुई लिये लिये ही बड़बड़ाई ……. चादर तो समेट लेते सुबह से ज्यों का त्यों कमरा पड़ा है अरे जहां पड़े हो कम से कम उसे तो समेट लिया करो  । नहीं…… उसी में सोये रहेंगे कहते हुए जैसे ही नाश्ता बेड पर रखने लगी रवि खुद … Read more

 माथे को चूम लिया – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

बिट्टू की थाली में फेका हुआ खाना देखकर दादी खूब बड़बडाईं। ” कितनी बार मना किया खाना कम परसो दोबारा दे देना पर सुने तब तो , मानों किसी बात का कोई असर ही नही पड़ता,बड़बड़ाते रहो करेगी अपने ही मन का जो उसे अच्छा लगेगा” और अपने बिस्तर पर जा कर बैठ गईं ,अब … Read more

मनोबल – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

समझ नही आता अम्मा कभी-कभी इतना कड़वा क्यों बोलती है ? किसी बात का सीधे जवाब देती ही नही , पूछो कुछ तो नमक मिर्च लगा के तोखे स्वर में बढ़ा चढ़ा जवाब कुछ और देती है ये सवाल मेरे ही नही हम उम्र सभी लड़कियों के मन में आता है कि क्या इस उम्र … Read more

पति का प्रेम – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

समझ नही आता अम्मा कभी-कभी इतना कड़वा क्यों बोलती है ? किसी बात का सीधे जवाब ही नही देती, पूछो कुछ तो नमक मिर्च लगा के त खेल स्वर में बढ़ा चढ़ा के ही बोलती है। ये सवाल मेरे ही नही हम उम्र सभी लड़कियों के मन में आता है कि क्या इस उम्र तक … Read more

ठगा सा – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

वर्षो से एक ही जूता पहन रहे हमेश बाबू का जूता अब घिस गया था जिसके लिए पत्नी कई बार टोक चुकि थी कि अरे ! नया ले लीजिए पर वो थे कि घसीट रहे थे और आज तो वो ज़िद पर ही अड़ गई कि नही आज तो आपको लेने जाना ही पड़ेगा  चाहे … Read more

चमकते आंसू – कंचन श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

तखत पर बैठी अम्मा के आंसू  रुक नही रहे हर कोई उनकी आंखों के सामने से चला जा रहा और वो लाचार बेबस असहाय सी वहीं की वहीं पड़ी  कुछ नही कर पा रही ।करें भी कैसे एक तो उम्र का तकाज़ा दूसरे निगोड़ी कई बीमारियों ने  घर बना लिया देह में , वो भी … Read more

आख़िरी मुलाकात – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

सुनो घर चलते हैं वर्षो हुए घर नहीं गए।हर बार छुट्टियों में कही न कही घूमने का प्लान बन जाता है और हम सब पहाड़ों पर चले जाते है तो घर जाना रह ही जाता है कहते हुए ओम नहाने चला गया। जिसे रसोई में नाश्ता बनाती अनु से सुना और सोचने लगी।चलो अच्छा है … Read more

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