कुछ तो लोग कहेंगे

रसोई से आती हल्दी और मसालों की खुशबू के बीच संध्या बरसों से अपने दिन की शुरुआत करती रही। सुबह की चाय से लेकर रात के खाने तक, बच्चों की पढ़ाई से लेकर पति अमित की जिम्मेदारियों तक, उसने अपनी पूरी ज़िंदगी घर और परिवार में समर्पित कर दी। अमित इंदौर में एक अच्छी नौकरी … Read more

रिश्तों का विश्वासघात – ज्योति आहुजा 

 बात कुछ वर्ष पुरानी है ।कुरुक्षेत्र का मेन बाज़ार  हर  रोज़ की तरह चहल–पहल से भरा था। दुकानों की रोशनी में गहनों की चमक आँखों को चौंधिया रही थी।  शारदा ज्वेलर्स की दुकान पर भी भीड़ थी। काउंटर के पीछे महेन्द्र जी और उनकी पत्नी शारदा जी बैठे थे। तभी अचानक एक जानी–पहचानी आवाज़ आई—“नमस्ते … Read more

कब बदलेगा नज़रिया

आकांक्षा महत्वाकांक्षी थी, मेहनती थी और अपने करियर को लेकर हमेशा गंभीर रहती थी। MBA करने के बाद उसे एक कंपनी में नौकरी मिली, और इसके लिए उसे दूसरे शहर जाना पड़ा। वहाँ उसने एक पी जी लिया, जहाँ वह एक लड़की के साथ कमरा शेयर करती थी। सहेली भी नई थी, किसी और कंपनी … Read more

अपने अपनों की पहचान – ज्योति आहूजा : Moral Stories in Hindi

सुहानी और आकाश की शादी को दो ही साल हुए थे। मगर इन दो सालों में आकाश की एक आदत बार-बार सुहानी को भीतर तक चोट पहुँचाती रही। वह कभी अपनी पत्नी की तारीफ़ नहीं करता था। उसके शब्द हमेशा दूसरों की पत्नियों, भाभियों और कलीग्स की तारीफ़ में ही निकलते। कभी पड़ोसन रीना के … Read more

पिता की अमानत – ज्योति आहूजा 

जयपुर के शास्त्री नगर में रहने वाले विवेक जी का नया मकान अब मोहल्ले में चर्चा का विषय था। जहाँ विवेक अपनी पत्नी कंचन, दस वर्षीय बेटे विवान और पिता रामप्रसाद जी के साथ हाल ही में रहने लगे थे। वो आलीशान मकान विवेक की मेहनत, बड़ों के आशीर्वाद एवं तरक्की का जीता-जागता उदाहरण था। … Read more

अपने तो अपने होते हैं – ज्योति आहूजा : Moral Stories in Hindi

रात के साढ़े बारह बजे थे। पूरा घर नींद में डूबा था, लेकिन रिया के कमरे से रोशनी बाहर झाँक रही थी। कमरे की सारी लाइटें जली थीं और एक कोने को रंगीन लाइट्स, पर्दों और फूलों से सजा कर उसने अपना छोटा-सा स्टूडियो बना लिया था। मोबाइल कैमरा ट्राइपॉड पर टिकाया था और वो … Read more

बुजुर्गो के खिलाफ आखिर साजिश क्यों – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

“आपने मेरे लिए क्या किया है?” बेटे रोहन के मुंह से ऐसे कठोर शब्द सुनकर सरिता की आंखों में आसूं आ गए।जिस बेटे को इतने नाजों से पाला अपनी रातों की नीद कुर्बान की वही आज उसकी परवरिश पे सवाल कर रहा था वो भी बहु प्रिया के सामने जिसने आते ही पूरी तरह से … Read more

आसमान की ओर मुस्कान – ज्योति आहूजा :

कविता की आदत थी कि हर रात सोने से पहले छत पर जाकर आसमान देखे। टिमटिमाते तारों को ताकते हुए उसके मन में एक ही सवाल बार-बार उठता— “अगर मैं कल न रही… तो मेरे बच्चों का क्या होगा?” उसका जीवन बच्चों में ही बसता था। सुबह से लेकर रात तक उनकी हँसी, उनकी पढ़ाई, … Read more

बिखरी हंसी, बिखरा मन – ज्योति आहुजा : Moral Stories in Hindi

सुबह के 6:00 बजे थे। अलार्म की घंटी लगातार बज रही थी। “उफ्फ! अदिति। अलार्म की घंटी कब से बज रही है, इसे बंद करो। मेरी नींद खराब हो रही है।” आधी नींद में बड़बड़ाते हुए अर्जुन ने अदिति से कहा। अदिति ने जैसे-तैसे अलार्म बंद किया और बहुत ही बेमन से उठी और हाथ-मुँह … Read more

दिखावे से परे – ज्योति आहूजा 

मुंबई की एक बड़ी और चमकदार सोसाइटी में राहुल और नेहा रहते थे। शादी को उन्हें दो साल हुए थे। दोनों नौकरीपेशा थे—राहुल एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर और नेहा एक प्राइवेट फर्म में मार्केटिंग प्रोफ़ेशनल। सुबह जल्दी निकलना, दिनभर काम की दौड़ और रात को थके-हारे लौटना उनकी दिनचर्या थी। कई बार तो ऐसा … Read more

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