दिल और धड़कन – जगनीत टंडन : Moral Stories in Hindi

“कैसी बातें कर रही है सिम्मी, पापा हमें कभी नोकरी नहीं करने देंगें, बल्कि तेरी सलाह मान कर जूते पढ़ेंगें हमें”अर्चना ने तनिक गुस्से से कहा। “इसमें जूते पड़ने जैसी क्या बात है दीदी ? आप समझो ना,इससे तो पापा की मदद ही होगी ना।” सिमरन अभी भी अपनी बात पर अड़ी हुई थी। “जैसे … Read more

error: Content is Copyright protected !!