सब्जी का भाव – हरी दत्त शर्मा : Moral Stories in Hindi
“पचास बार कहा है कि सब्जी खरीदना मेरे वश का नहीं है, न तो मुझे भाव ताव करना आता है और ना ही छाँट बीन करना “ मैं भिनभिनाया हुआ था, “खरीद भी लाऊं तो तुम हजार मीनमेख निकाल देती हो। कोई ठेल बाला आए तो उससे खरीद लेना या शाम को बाजार हो आना। … Read more