तिरस्कार कब तक – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi
“आज फ़िर तुमने ये गँवारों जैसे कपड़े पहन लिए हैं!आख़िर तुम्हें कब अक्ल आएगी या फ़िर तुम ओरतों की अक्ल होती ही घुटनों में है!” विनीत हमेशा की तरह मीता को उलाहना दे रहा था । विनीत मीता की किसी भी बात की प्रशंसा न करता और ऊपर से उसके हर काम में कमी निकालता … Read more