क्या माता-पिता का दिल भी पत्थर हो सकता है। – गीतू महाजन : Moral Stories in Hindi

घर लौटने पर आज फिर राजेश को घर का वातावरण थोड़ा बोझिल लगा।ऐसा लगा जैसा अजीब सा सन्नाटा पसरा हो।बाहर बरामदे में भैया के बच्चों के साथ उसकी बेटी रिया खेलती नज़र नहीं आई।भैया के बच्चे आशु और अवनी उसे देखते ही उसकी तरफ लपके और साथ ही अपने ननिहाल से आए खिलौनों को दिखाने … Read more

अपशगुनी – गीतू महाजन : Moral Stories in Hindi

बस करो!!! शुभ्रा ज़ोर से चीखी और उसकी चीख के साथ ही हवेली के आंगन का शोर एकदम थम सा गया। महिलाओं का जो जमघट वहां लगा था उसमें शांति छा गई।यह सारी महिलाएं गांव के ज़मींदार चौधरी  रतन सिंह की हवेली में आज उनकी बेटी शुभ्रा के विवाह के लिए इकट्ठा हुई थी।आज मेहंदी … Read more

 तमाचा – गीतू महाजन : Moral Stories in Hindi

चितरंजन जी अपने साथ लाए  तोहफों के साथ बेटी के ससुराल में बाहर के अतिथि कक्ष में अपने समधी का इंतज़ार कर रहे थे।यहां आए हुए उन्हें लगभग आधा घंटा हो चुका था। दिवाली के त्यौहार के उपलक्ष्य में वह बेटी के घर मिठाई और उपहार लेकर आए थे।इस आधे घंटे में नौकर उनके लिए … Read more

अकेली – गीतू महाजन : Moral Stories in Hindi

“चटाक”, एक झन्नाटेदार तमाचे की आवाज़ आई और रूपेश अपना गाल सहलाता हुआ धम्म से पलंग पर बैठ गया। “दर्द हुआ, ऐसे ही दर्द होता है मुझे..जब तुम अपना हाथ मुझ पर उठाते हो”, मालती गुस्से से चिल्ला उठी थी।  “अभी निकल जा मेरे घर से…अभी के अभी..तेरे जैसी औरत को मैं एक पल भी … Read more

अमेरिका वाले चाचा चाची – गीतू महाजन : Moral Stories in Hindi

तरुण जब दफ्तर से घर आया तो कविता उसके लिए पानी ले आई और चाय बनाने रसोई में चली गई।जब तक कविता अपने और तरूण के लिए चाय बना कर लाई तब तक वह हाथ मुंह धो कर और कपड़े बदल कर फ्रेश हो चुका था।तरूण ने चाय पीते हुए बच्चों के बारे में पूछा … Read more

एक औरत के दिल की थाह – गीतू महाजन : Moral Stories in Hindi

पिताजी की 13वीं को बीते हुए 2 दिन हो चुके थे।सारे रिश्तेदार अपने-अपने घरों में वापिस जा चुके थे और आज ही छोटी बहन आरती भी सुबह अपने बेटे और पति के साथ ससुराल के लिए निकल गई थी।घर में बस मैं ,मां ,मेरी पत्नी शालिनी और हमारा 5 वर्षीय पुत्र आयुष था।मैंने तो अपनी … Read more

अल्हड़ देवरानी – गीतू महाजन : Moral Stories in Hindi

हां..अल्हड़ ही सी थी वो जब वो ब्याह कर हमारे घर आई थी।मेरे साथ- साथ कितने ही रिश्तो में बंध गई थी वो।19 साल की छोटी सी उम्र में ब्याह कर ससुराल आते ही वह इधर-उधर टुकुर-टुकुर देख रही थी।कोई उसे चाची, कोई मामी और कोई भाभी बुला रहा था। इतने बड़े संयुक्त परिवार को … Read more

 मायके से उम्मीद रखने का हक – गीतू महाजन  : Moral Stories in Hindi

आज पूरे एक साल बाद मां बाबूजी के घर आकर राधिका को बहुत सुकून महसूस हो रहा था।घर की हर चीज़ को छू कर ऐसा लग रहा था जैसे मां ने उसे अपने आगोश में ले लिया हो। सुबह जब घर के सामने उसकी टैक्सी रुकी थी तो पल भर के लिए उसे ऐसा लगा … Read more

जब खुद पर बीतती है – गीतू महाजन : Moral Stories in Hindi

नई नवेली बहू शुचिता की आज पहली रसोई थी। उसने सबके मनपसंद छोले पूरी और खीर बनाई थी। सबको उसका स्वाद बहुत पसंद आया और उसकी  सास कमलेश जी अपनी बहू को शगुन पकड़ाते हुए बोली,”तुम्हारे हाथ में बहुत स्वाद है बहू, मुझे विश्वास है इस रसोई को तुम अच्छी तरह से संभाल पाओगी”। तभी … Read more

दो बहुओं के बीच नफ़रत की दीवार – गीतू महाजन : Moral Stories in Hindi

दर्शना जी और उनके पति दीपक जी मेज़ पर बैठे नाश्ता कर रहे थे। उनके दोनों बेटे नाश्ता कर और टिफिन लेकर फैक्ट्री के लिए निकल चुके थे।बड़ी बहू नीरजा उन्हें परांठे परोस रही थी और छोटी बहू काजल ने चाय चढ़ा रखी थी।  दर्शना जी का संयुक्त परिवार था। दोनों बेटे अपने पापा के … Read more

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