आखिरी फैसला – एकता बिश्नोई : Moral Stories in Hindi

“अगर जाना है तो तू कहीं चला जा…नेहा कहीं नहीं जाएगी”…। “मगर माँ…..मैं कहांँ जाऊँगा…. ये मेरा घर है” ..। “तो नेहा भी क्यों कहीं जाएगी..बहू है वह इस घर की..ये घर उसका भी है”…। “मगर मैं इसके साथ नहीं रह सकता”… । “इसीलिए तो कह रही हूँ तू कहीं और अपना ठिकाना देख ले…. … Read more

मां बाप की दुआओं में भगवान के आशीर्वाद से भी बड़ी शक्ति है। – एकता बिश्नोई : Moral Stories in Hindi

मांँ परेशान थी ….कहांँ चला जाता है यह लड़का रोज रोज…बिना कुछ बताए निकल जाता है…. फिर घंटों तक  लौटने का नाम ही नहीं लेता….मेरी तो जैसे इसे कुछ चिंता ही नहीं…. यह भी नहीं जानता कि जब तक घर नहीं आ जाता मेरी सांँसे गले में अटकी रहती है…. आने दो आज अच्छी तरह … Read more

भाग्यहीन – एकता बिश्नोई : Moral Stories in Hindi

नीलू अपनी बीमारी से अब स्वयं ही परेशान हो चुकी थी। क्योंकि बीमारी में दवा और आराम की जरूरत होती है जो उसके नसीब में नहीं था।घर में उसकी सेवा करने वाला था ही कौन? बीमारी में भी घर का सारा काम उसे ही करना होता था…बेटियाँ दोनों छोटी थीं अभी, लगभग तीन और पाँच … Read more

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