कुल की रोशनी – डा० विजय लक्ष्मी : Moral Stories in Hindi

“तीसरी भी लड़की हुई है… अब तो पड़ जायेगी न तुम्हारे कलेजे में ठंडक!” रमाबाई की आवाज़ सुन  ठाकुर हवेली की चौखट काँप उठी, थी और जानकी की कोख से निकली मासूम बच्ची, माँ की छाती से लग रो पड़ी थी।  प्रसव की पीड़ा से ज्यादा, जानकी की आँखों मेंअब तो पड़ जायेगी न तुम्हारे … Read more

 अन्तर्व्यथा – डा० विजय लक्ष्मी : Moral Stories in Hindi

शाम की धीमी रोशनी कमरे में फैल रही थी, और खिड़की से आती हवा में भी जैसे कोई थकावट घुली हुई थी। जानकी चुपचाप चारपाई पर लेटी थी, आँखें बंद थीं पर नींद कोसों दूर। सिर दर्द से फटा जा रहा था, लेकिन उससे भी ज्यादा उसका मन टूट चुका था। दस साल से इस … Read more

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