आखिरी पड़ाव – डॉ शंकर लाल माहेश्वरी : Moral Stories in Hindi
उस दिन बंद कमरे में हो रही उनकी बातें अधखुली खिड़की से सुनीं, तो मैं दंग रह गया। अंदर से खाली होता जा रहा था, अज्ञात भय सालने लगा। बेटे अखिलेश की शादी हुए अभी दो ही साल तो बीते हैं। काफी सोच-विचार कर भरे घर की बेटी को बहू बनाकर लाया था। सोचा, थोड़ा … Read more