करवा चौथ के बहाने – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

सुनिए देखिए जरा मानसी ने पति रमेश को अपने गले में पहना हार दिखाते हुए बोला कैसा लग रहा। अच्छा है, पति ने उत्तर दिया मगर तुम इसे कहां से उठा लाई, अरेऽऽ चोर उचक्का समझा क्या मुझे ? उठाकर नहीं लाई सुनार से किश्तों में खरीदा है बस दस हजार रुपए महीने की किश्त … Read more

तिरस्कार नहीं हम तो नोंक-झोंक में आनन्द खोजते हैं – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

अजी सुनती हो कहां हो..? पति राकेश की चिलचिलाती आवाज सुनकर रीता जी झल्लाकर बोली  कहां सुनती हूँ.. मैं तो बहरी हूँ वो भी जन्म से…थोड़ा झल्लाकर  हाँ बोलिए क्या बात है..? अरे तुम तो नाराज ही हो जाती हो मैंने ऐसा कब कहा..? जरा एक कप चाय मिलेगी पति राकेश की आवाज में बेहद … Read more

निसंतान होना अभिशाप नही है – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

ये शुभ दिन है बड़ा प्यारा, बधाई हो बधाई.. जीवन का हर लम्हा सुखदाई, बधाई हो बधाई… गीतों की भरमार करके किन्नरों ने तो आज भारती जी के घर की रौनक ही बढ़ा दी। खुशियों पर चार चाँद ही लगा दिये गाते गाते एक किन्नर बोली देखो अम्मा निराश नहीं करना आज हमें, बड़ी उम्मीद … Read more

प्रायश्चित से ही शान्ति मिलेगी – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

  मालकिन, मालकिन दरवाजा खोलिए जोर से दरवाजा खटखटाने की आवाज सुनकर प्रतिमा देवी जी ने दरवाजा खोला तो सामने कजरी खड़ी थी वो चौंककर बोली अरी कजरी तू इतना सुबह सुबह तू तो दस बजे आती है बस मालकिन आज सरकारी अस्पताल में नम्बर लिया दस बजे बुलाया उन्होंने तो सोचा आपका आधा काम निपटा … Read more

 तक़दीर फूटना – डॉ बीना कुण्डलिया  : Moral Stories in Hindi

रूपा और उसकी सहेली को ऑफिस के काम से दूसरे शहर जाना था इसलिए उन्होंने अपनी सहूलियत के हिसाब से अपनी ही कार को माध्यम चुना सुबह जल्दी निकल पड़ी क्योंकि दोपहर तक पहुँचना जरूरी और रास्ता चार पाँच घन्टे का लगभग तीन घंटे का रास्ता तय कर चाय पीने की ललक ने एक चाय … Read more

 हमसफ़र की अहमियत – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

रूपा ओ रूपा कहां हो पति राकेश की आवाज सुनकर रूपा दौड़ी आई हाँ बोलिए क्या हुआ..? अरे होना क्या तुम ध्यान नहीं रख सकती हो देखों मेरी इन दोनों कमीजों के बटन ही गायब हैं तुम यार करती ही क्या रहती हो दिनभर..?  सारे दिन तुम्हारा काम ही क्या है घर में ?  वो … Read more

पट्टी पढ़ाना – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

रमा जी के छोटे बेटे का विवाह हाल ही में बहुत घूमघाम से सम्पन्न हुआ। छोटी बहु रागिनी सँस्कारी रिश्तों को महत्व देती बड़ी ही नेक दिल सीधी-सादी इंसान। उसकी माँ ने उसे सदा ही मिलजुल रहने सबका आदर सम्मान करने की शिक्षा दी थी वो उसी का पालन कर रही । रमा देवी को … Read more

बेटी की चाहत – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

इमरजेंसी वार्ड के लेबर रूम के बहार प्रभा देवी और उनके पति नरेंद्र बाबू चिन्तित चहलकदमी कर रहे। अन्दर उनकी छोटी बहू रमा की डिलीवरी जो होने वाली है। दो घंटे बाद लेबर रूम का दरवाजा खुलता है। नर्स हाथों के दस्तानों को उतारती उत्सुकता से बोली बधाई हो अम्मा पोता हुआ है। नर्स ने … Read more

रिश्तों के सही मायने – डॉ.बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

   जब किसी की अच्छाई पर बात करनी हो तो शायद ही कोई बोलता हो, सभी खामोश रहते हैं। लेकिन किसी की बुराई करनी हो तो गूँगें भी बोल पड़ते हैं। इसके बावजूद भी बुराई कितनी भी बड़ी हो वह हमेशा अच्छाई के सामने छोटी ही होती है। और जहां तक विश्वास की बात है…. विश्वास … Read more

 खुशियों की कुंजी संयुक्त परिवार – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

 ये लड़की भी न बहुत जिद्दी हो गई है अपनी मन की करनी है  इसे बस और कुछ नहीं, एक तो आपने भी ना इसको ज्यादा ही छूट दे रखी है । रमा देवी अपने पति सोमेश से बोली अब देखो, अच्छा भला लडका, सुन्दर है अच्छी नौकरी शिक्षित परिवार और क्या चाहिए ..? मैं … Read more

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