मेरी दोनों बहू आपस में बहनों की तरह रहती हैं – डोली पाठक : Moral Stories in Hindi

नम्रता की शादी को पूरे तीन साल हो चुके हैं… अब तक घर परिवार को उसने बड़े हीं सुव्यवस्थित ढंग से संभाला है…  मंझले देवर के विवाह की तैयारियां चल रही है…  लड़की देखने में तो अच्छी-भली है पता नहीं व्यवहार कैसा होगा??  इस बात की सबसे अधिक फिक्र नम्रता को हीं है…  नम्रता ने … Read more

बुधनी…. – डोली पाठक : Moral Stories in Hindi

हां यहीं नाम था उसका…  क्यों कि वो बुधवार को पैदा हुई थी इसलिए माता-पिता ने उसको यहीं नाम दे दिया…  और यही नाम उसकी पहचान बन गई। माता-पिता की सबसे बड़ी संतान होने के कारण बुधनी को विरासत में हीं ढेर सारी जिम्मेदारियां मिल गईं… बचपन में जब सारे बच्चे खेलकूद और मौज-मस्ती में … Read more

 आपको बहू नहीं चलता फिरता रोबोट चाहिए : डॉली पाठक : Moral Stories in Hindi

जबसे बच्चों के स्कूल सुबह साढ़े छह बजे से हुए थे… शालिनी को सुबह के पांच बजे हीं जागना पड़ता था… और संयोग तो देखिए कि दोनों देवरानियां भी मायके चली गई हैं एक साथ…. दोनों के मायके में फंक्शन पड़ गया है…. शालिनी सुबह पांच बजे उठी तो सर्वप्रथम गैस पर ससुर जी और … Read more

 चलो अब जाने भी दो :  डोली पाठक : Moral Stories in Hindi

अनु को जाने क्यों बुआ के बेटे का आना बिल्कुल पसंद नहीं था। कहने को तो अभय अनु से तीन साल छोटा था परंतु उसकी हरकतें बचपन से हीं बड़ों जैसी थी,उस पर अभय का अनु को बार बार बहाने से छूना उसे विचलित कर देता..  अनु उसे हर बार टोक देती परंतु फिर भी … Read more

पट्टी पढ़ाना – डोली पाठक : Moral Stories in Hindi

बचपन से हीं रजत का झुकाव मां की तरफ अधिक था…  इस बात के लिए वो सदैव पिता की आंखों में खटकता था…  वो रजत की मां अरूंधति से कहा करते कि- तुमने जाने कौन-सी पट्टी पढ़ा रखी है अपने बेटे को जो पूरे दिन तुम्हारे आंचल में दुबका रहता है…  दरअसल रजत पढ़ाई में … Read more

बांझ – डोली पाठक : Moral Stories in Hindi

आज फिर सुबह सुबह सुखबसिया कांख में कुछ दबाकर दरवाजे पर आई…  काकी ने मजाक किया कि,, क्या सुखबसिया!! कांख में क्या दबाई हो जरा मुझे भी तो दिखा.. सुखबसिया शरमाते हुए बोली- हटो न काकी तुम तो हमेशा मजाक हीं करती रहती हो..  ये आंवला तेल है जो मैं दुकान से ले कर आई … Read more

मन की गांठ – डोली पाठक : Moral Stories in Hindi

मनोज के चेहरे पर उड़ती हुई हवाइयों को देख घर में सबको बड़ी हैरानी सी हो रही थी और साथ हीं साथ किसी अनहोनी की आशंका से मन विचलित भी हो रहा था… कल तक घर के हर सदस्य के साथ हंसी-ठिठोली करने वाले मनोज को आज क्या हो गया है??  हर आहट पर कुछ … Read more

अतीत की परछाइयां – डोली पाठक : Moral Stories in Hindi

भीमा को आज बार बार अतीत की परछाइयां आकर घेर रही थीं और वो चाह कर भी उनसे मुक्त नहीं हो पा रहा था। जाने वो कौन सी मनहूस घड़ी थी जब इस शहरी बाबू ने उसके जीवन में प्रवेश किया था। और भीमा की जिंदगी को एक  दम से बदल कर रख दिया। भीमा … Read more

समझौता अब नहीं – डोली पाठक : Moral Stories in Hindi

मालकिन अब मुझसे नहीं हो सकेगा…. ये देखिए मेरे हाथों का हाल…  आपने जो फर्श साफ करने वाला लिक्विड दिया था उसने मेरे हाथों को जला दिया….  बुचन बोली… देखो बुचन तुम शायद भूल रही हो कि,अभी तुमने जो पैसे लिए थे वो दिए नहीं है तुमने…. प्रमिला बोली। बुचन प्रमिला के घर का सारा … Read more

काला चिठ्ठा – डोली पाठक : Moral Stories in Hindi

मनोरमा मैंने तुम्हें मना किया था ना कि छोटे के विवाह में सविता बुआ को मत बुलाना…… शीला जी ने अपनी बहू मनोरमा को फटकारते हुए कहा। परंतु मां जी….. सविता बुआ क्यों नहीं आ सकतीं हमारे यहां…. ये मायका है उनका…. उन्हें पूरा हक है अपने घर आने का…. मनोरमा ने कहा। मनोरमा जब … Read more

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