बुढ़ापे का सहारा ना बेटा ना बेटी बल्कि बहू होती है – डोली पाठक

क्या पिताजी आज फिर से बिस्तर गीला कर दिया आपने???  जूही ने अपने ससुर सुखदेव जी से जब ये सवाल किया तो वो शर्मिंदगी से नजरें चुराते हुए बोले- नहीं तो!!!  मैंने तो नहीं किया… मैं तो अभी-अभी बाथरूम से आ रहा हूं…  जूही पिताजी से बिना बहस किए   गीली बिस्तर हटाया साफ बिस्तर बिछा … Read more

आपे से बाहर होना – डोली पाठक

आप कितने पढ़े-लिखे हैं… कितनी डिग्रियां ले रखी हैं और आप कितने ईमानदार और नेक इंसान हैं इन सारी हीं बातों का कोई अर्थ नहीं रह जाता जब आपको लोगों के साथ व्यवहार करना नहीं आता… आपकी भाषा शैली और बात करने का सलीका आपकी डिग्री का मोहताज नहीं होता… अक्सर हमने देखा है कि … Read more

कुछ तो लोग कहेंगे – डोली पाठक

बारह बरसों तक सूनी कोख लिए सरोज अपनी ममता लूटाने को तरसती रही….  हर मंदिर और हर देश प्रतिमा के आगे अपने कोख के गुलजार होने की अनसुनी सी प्राथनाएं कर के रख चुकी सरोज ने जान लिया था कि ईश्वर ने शायद उसके भाग्य में ये सुख दिया हीं नहीं था… उसकी गोद भले … Read more

आखों में धूल झोंकना – डोली पाठक 

मशीन की गड़गड़ाहट के बीच एक मरियल सी आवाज सुन कर प्रताप ने जब नजरें उठा कर देखा तो सामने एक दुबला-पतला सा कोई बाईस तेईस साल का लड़का खड़ा था… प्रताप ने मशीन बंद किया और उस लड़के की तरफ मुखातिब होकर बोला – हां बोलो क्या चाहिए???  जी मेरा नाम लखन है आपने … Read more

आंखे नीची करना – डोली पाठक : Moral Stories in Hindi

मैं कह रहा था ताऊजी कि, बड़ी दीदी का तो कोई भाई है हीं नहीं तो फिर मायके की संपत्ति में उनका हिस्सा लगाना जरूरी है क्या???  आंखों में बेशर्मी की पट्टी चढ़ाए मनोज ने ताऊजी से कहा। ताऊजी ने उसे जलती निगाहों से देखा और गुस्से से तमतमाते हुए कहा _ किसको क्या मिलेगा … Read more

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