निर्णय – दिक्षा बागदरे : Moral Stories in Hindi

श्रद्धा ने राहुल को बहुत समझाया था, जल्दबाजी में कोई निर्णय मत लो।  मगर जैसे राहुल पर कोई भूत सवार था। वह श्रद्धा की कोई बात नहीं मान रहा था। श्रद्धा समझा-समझा कर थक चुकी थी। वह बिल्कुल नहीं चाहती थी कि राहुल जल्दबाजी में कोई भी निर्णय ले और फिर पछताए।  श्रद्धा और राहुल … Read more

अपनापन – दिक्षा बागदरे : Moral Stories in Hindi

  साक्षी एक पढ़ी-लिखी कुशल गृहिणी थी। उम्र लगभग 42 वर्ष। साक्षी की दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था अपने आसपास की महिलाओं से मिलना-जुलना। यह मिलना-जुलना केवल समय व्यतीत करना मात्र नहीं था। इस तरह से मिलने की एक खास वजह थी। साक्षी को अच्छा लगता था किसी के दुख-दर्द सुनना, उनकी कोई समस्या हो … Read more

प्रेम की गांठ – दिक्षा बागदरे : Moral Stories in Hindi

भागीरथी जी थी ठेठ देसी गांव की महिला थीं। जन्म से लेकर ब्याह तक वह गांव में ही पली-बढ़ी। खेती-बाड़ी, गाय दुहना, लिपना-पोतना, चूल्हे पर खाना बनाना आदि काम कई वर्षों तक, उनकी दिनचर्या का हिस्सा रहे हैं। यूं तो उन्हें शहर में बसे वर्षों हो गए।   हर काम में होशियार थी। शहरी जिंदगी … Read more

अंतिम इच्छा – दिक्षा बागदरे : Moral Stories in Hindi

“डॉक्टर साहब मैं कब मरूंगी ??” आज जिया राजस्थान अस्पताल में आईसीयू में डॉक्टर शर्मा से यह सवाल पूछ रही थी।  डॉ शर्मा स्तब्ध से जिया की ओर देखने लगे। जिया से इस तरह के सवाल की अपेक्षा उन्हें बिल्कुल नहीं थी।  वह अच्छी तरह से जानते थे की जिया कैंसर की फोर्थ स्टेज से … Read more

बेटी का बचपन – दिक्षा दिपेश बागदरे   : Moral Stories in Hindi

विशाल और रिद्धिमा दोनों ही नौकरी पेशा थे। उन दोनों की 5 साल की एक प्यारी सी बेटी थी मानवी। तीनों ही एक खुशहाल जिंदगी जी रहे थे।  सविता जी और महेश जी ये है रिद्धिमा के माता-पिता। मानवी के प्यारे नानू-नानी।  विशाल जब 15 बरस के थे एक कार एक्सीडेंट में उनके माता-पिता गुजर … Read more

चाहत- एक बहन की…. – दिक्षा बागदरे : Moral Stories in Hindi

विश्वास की आंखों से आज अनवरत अश्रु बह रहे हैं। आज रक्षाबंधन का त्यौहार है। हमारे दोनों बच्चे बेटा अनय और बेटी सौम्या आज बहुत खुश हैं। मैं- आरती विश्वास की अर्धांगिनी। जब मैंने सौम्या से कहा आओ भैया को राखी बांधो। दोनों भाई बहन बहुत खुशी से इस त्यौहार की रस्मों को निभा रहे … Read more

आज की पीढ़ी – दिक्षा बागदरे : Moral Stories in Hindi

यह कहानी है निरवी की। निरवी एक आम गृहिणी है। सभी गृहिणियों की तरह वह भी सुबह से लेकर रात तक अपने घर के सारे कामों को करने में व्यस्त रहती है।  सास-ससुर, पति, बच्चों किसको कब क्या चाहिए ? किसको कब लाना है, कब छोड़ना है ? बाजार के काम निपटाना आदि सभी दैनिक … Read more

नाराज सुकन्या – दिक्षा बागदरे : Moral Stories in Hindi

मैं हूं “सुकन्या”। आज सुनिए सुकन्या की कहानी सुकन्या की जुबानी।  मैं सुकन्या चलाती हूं एक टिफिन सेंटर जिसका नाम है, “सुकन्या टिफिन सेंटर”।  आप सोच रहे होंगे की टिफिन सेंटर ?? क्या खास है इसमें टिफिन सेंटर तो बहुत से लोग चलाते हैं।  बहुत खास है सुकन्या का यह “सुकन्या टिफिन सेंटर”।  पहली खास … Read more

समर्पण – दिक्षा दिपेश बागदरे : Moral Stories in Hindi

मीठी की शादी एक समृद्ध परिवार में हुई थी। पति विवेक एक सरकारी महकमे में बड़े पद पर कार्यरत थे। मां और पिताजी दोनों ही बहुत सुलझे हुए विचारों के थे।  मीठी आज बहुत खुश थी। आज उसकी पीएचडी कंप्लीट हो गई थी। अभी-अभी वह यह खुशखबरी मां को सुना कर घर (ससुराल) आई थी।  … Read more

मैं और मेरा अस्तित्व – दिक्षा बागदरे : Moral Stories in Hindi

मयूरी और साहिल जीवन के ऊस मोड़ पर खडे़ हैं । जहां उनके रिश्ते मे इतनी “कडवाहट” आ चुकी है कि उसे कोई भी प्यार का शरबत मीठा नही कर सकता। मयूरी और साहिल का विवाह आज से 15 साल पहले हुआ था। हर आम वैवाहिक रिश्ते की तरह उनका भी रिश्ता था कभी प्यार, … Read more

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