तेरा सच =मेरा सच – देवेंद्र कुमार : Moral Stories in Hindi

समुद्र के किनारे मछुआरों का एक गाँव था- टाना। टूटी-फूटी झोंपड़ियाँ समुद्र से थोड़ी दूर नारियल के झुण्ड में बनी थीं। वहीं रहते थे भोले-भाले परिश्रमी मछुआरे। वे हर सुबह अपनी नौकाएँ लेकर समुद्र में निकल जाते, मछलियाँ पकड़ते और जब शाम को सूरज समुद्र के पानी को रंगीन बनाता हुआ डूबने की तैयारी में … Read more

सिक्का और सांप – देवेंद्र कुमार : Moral Stories in Hindi

बस्ती से कुछ दूर एक प्राचीन इमारत के खंडहर थे। शायद कभी किसी सामंत या नगर सेठ की हवेली रही हो, जो अब समय के थपेड़ों से टूट-फूट गई थी। काफी बड़े क्षेत्र में पत्थर बिखरे हुए थे। उसका इतिहास कोई नहीं जानता था। और जानने की कोई जरूरत भी नहीं थी। रात की क्या … Read more

डाक्टर प्याऊ – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

मोड़ पर एक पेड़ के नीचे श्यामदास आने जाने वालों को पानी पिलाया करता था। एक पेड़ के इर्द गिर्द रेत फैलाकर मटके रखे हुए थे। वहीं पास में एक चने वाला बैठता था। चने वाला अक्सर ही श्यामदास से कहता था- ‘‘भैया, तुम्हारी प्याऊ के कारण ही मेरा काम भी चल जाता है।’’ सुनकर … Read more

रोटी ने कहा – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

ढाबे में सुबह से आधी रात तक हाड़ तोड़ मेहनत करते हुए भोलू लगातार एक ही बात सोचता रहता है-आखिर मालिक रामदीन उसी पर इतना गुस्सा क्यों करता है। भोलू को उसका चाचा रामदीन के पास छोड़ गया था। भोलू की माँ गाँव में अकेली रहती है। भोलू के पिता नहीं रहे,रोटी का जुगाड़ मुश्किल … Read more

एक था पहाड़-एक है पहाड़ – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

इस कहानी के अंदर हैं हम लोग,राक्षस और एक परी | आइये पढ़ते,सुनते और लिखते है इस कहानी को | पहाड़ -जिसे हम सबने मिल कर बनाया है| आप कहेंगे -यह कैसी अजीब बात, पहाड़ों को तो प्रकृति ने बनाया है धरती की दूसरी सब चीजों की तरह,जैसे समुद्र,जंगल,नदियां- मेरा मतलब इस धरती पर जो … Read more

जोकर काम पर – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

सड़क पर काम चल रहा है। सड़क का एक हिस्सा नीचे धंस गया है। गड्ढा खोदकर उसे घेर दिया गया है। लोहे के बोर्ड लगा दिए हैं, जिन पर लिखा है-‘ सावधान, आदमी काम पर हैं।’ इसलिए सड़क संकरी हो गई है। ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए सिपाही रामभज की ड्यूटी लगा दी गई … Read more

माँ साथ थी – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

सरना सेठ ध्यानचंद का विश्वासी नौकर था। हर समय उनके आस-पास रहता क्योंकि उसे मालूम था कि न जाने कब आवाज पड़ जाए। उसे एक पल का भी आराम नहीं था, पर सरना को कोई शिकायत नहीं थी। एक दिन की बात, आकाश में बादल घिरे थे। सरना हवेली की छत पर बैठा था। ध्यानचंद … Read more

जन्मदिन अखबार का – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

अखबार देखते ही विनय का माथा गरम हो गया। पता नहीं यह किसकी बेहूदगी थी। अखबार के पहले पन्ने पर किसी ने जगह जगह ‘जन्मदिन’ शब्द टेढ़े मेढ़े अक्षरों में लिख दिया था। उन्होंने तुरंत अखबार वाले जीतू को फोन मिलाया। उससे अखबार की नई प्रति लेकर आने को कहा। जीतू कई वर्षों से उनके … Read more

बहुत प्यास लगी है – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

एक था चोर। उसका नाम नहीं मालूम। वैसे नाम कुछ भी हो ,वह कहीं का रहने वाला हो ; क्या इतना काफी नहीं कि वह एक चोर था। हाँ तो रात में जब सब नींद की गोद में आराम कर रहे थे, तब वह जाग रहा था। उसका इरादा चोरी करने का था। और फिर … Read more

गेंद का बचपन – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

जया की रमा दादी पूजा कर रही थीं। रविवार का दिन था, घर के सब लोग बाहर गए थे, नीचे बच्चे शोर मचा रहे थे, इसलिए दादी का ध्यान बार बार भटक जाता था। तभी झन्न की आवाज के साथ पूजा की थाली उलट गई। जलता दीपक बुझ गया, पूजा की सामग्री बिखर गई। बच्चों … Read more

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