आंसू बन गए मोती – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

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गाँव के एक छोटे से घर में मोहन अपनी पत्नी सुनीता और दो बच्चों, रोहित और पायल, के साथ रहता था। मोहन एक किसान था, लेकिन सालों से सूखा पड़ने के कारण उसकी फसलें बर्बाद हो रही थीं। आमदनी कम होने के कारण घर चलाना मुश्किल होता जा रहा था। सुनीता एक समझदार और सहनशील … Read more

“अगला जन्म किसने देखा?” – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

New Project 65 1

जूही ने खिड़की के बाहर झाँकते हुए गहरी सांस ली। हल्की ठंडी हवा उसके चेहरे से टकराई, पर मन में उठते सवालों की गर्मी कम नहीं हुई। उसने मन ही मन सोचा—क्यों जन्मों की आस लगाए बैठे हैं हम? जब ये जीवन हमारे पास है, तो उसी में खुशियां क्यों न तलाशें? संबंधों की चमक … Read more

मन के रिश्ते – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

New Project 36

अरे सान्या रूम में इतना अंधेरा क्यों कर रखा है रूम की खिड़कियों से पर्दे हटाती हुई मम्मी बोली। जब जीवन में ही अंधेरा हो तो …. मम्मी ने पास में बैठ कर चद्दर समेटते हुए समझाया ” पता है तुम्हारी प्रोब्लम क्या है ? तुम हर कार्य को अपने अकॉर्डिंग चाहती हो बेटा हर … Read more

इतने जतनो से तुम्हे पाला पोसा और कल की आई छोकरी के लिए तुम हमको छोड़ कर जा रहे हो? – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

New Project 59

मम्मी अभी तक सोई नहीं? अनु ने पूछा राधिका तकिए को पलंग के सिरहाने लगा बैठ गई और बोली ” नहीं अभी का नींद आखों में घुलती है,? दिनभर तो छोटे मोटे काम ही तो करती हु थकान नहीं होती तो नींद भी अकड़ दिखाती है। अनु मुस्कुराकर पास ही बैठ गया और मम्मी के … Read more

कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नहीं होता – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T104436.080

सीधे सीधे चलते चलते अचानक रोड चारों दिशाओं में बंटने लगी। इधर देखा उधर देखा कोई साइन नजर ही नहीं आया। उतर दिशा की ओर बड़ी बड़ी बिल्डिंगे खड़ी थी जिसके गलियारे एकदम शांत थे। बालकनी से कुछ कुछ बच्चे झाक रहे थे पर आवाज उनकी भी नहीं आ रही थी। किसी किसी बालकनी से … Read more

घर की इज्जत – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

New Project 87

सुबह सुबह रसोई में जाकर चाय चढ़ाई ही थी की डोर बेल बज गई। इस वक्त कौन आया होगा सोचती हुई अरुणा जी ने गेट खोला । “”अरे शुचि तुम ? और अचानक?” शुचि( अरुणा जी की बेटी ) शुचि मम्मी से लिपट लिपट कर रोने लगी। एक बार को तो अरुणा जी को कुछ … Read more

बेटी के मोह में पढ़ कर सही गलत का फर्क करना भूल गई थी। – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

New Project 65 1

कल शाम से चुलबुली नंदिता ने घर  को अधर कर रखा था। भाग भाग कर काम कर रही थी ।उसकी ननद शेली अपने पति  और बच्चो के साथ नंदिता की शादी के बाद पहली बार आ रही थी। हालाकि शादी को साल भर हो गया था पर लोकेडाउन की वजह से किसी का आना जाना … Read more

मोहताज – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

New Project 100

आंखो के लिए भी नीचे काले काले रंग निशान ,चेहरा पीला सा पड़ गया था। हाथ पैरों में तो मानो जान ही नहीं रही। अकेले कमरे में घुट घुट कर बैजान सी हो रही थी। वो बिंदास रहने वाली पूजा। जैसा नाम वैसा ही व्यवहार । सबसे मिलना जुलना हसना ,हसाना मानो फूल सी काया … Read more

जब बच्चो को अकेले रहने की आदत हो जाती है तो बड़े बुजुर्गों से उन्हें बंधन दिखाई देने लगता है। – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

New Project 37

मम्मी जी बुरा मत मानिएगा छवि हमेशा अकेली रही हुई है ना? हो सकता है उसकी कोई आदत से आपको ठेस पहुंचे वैसे तो मैने समझा दिया है। I पर फिर भी…..? रितु ने अपनी सासु मां को बताया। बंगलौर में छवि हमेशा अपने मम्मी ,पापा के पास ही रही ओर वे दोनों इंटरनेशनल कंपनी … Read more

पछतावे के आंसू – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

New Project 39

अभी नींद लगी भी नहीं होंगी की मोबाइल की रिंग टोन ने जगा दिया। रंजना ने उठ कर पहले लाइट जलाई देखा रात के 12:00 बजे थे। इस समय किसका कॉल है ? पर पैशा ही ऐसा है। कॉल रिसीव किया। हेल्लो मैडम एक महिला का एक्सिडेंट हो गया है। बहुत खून बह रहा है? … Read more

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