ये स्वप्न नहीं हकीकत है – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

सुबह-सुबह अलार्म की आवाज सुनकर अंजलि झटके से उठकर बिस्तर में बैठ गई पति ऑफिस से हफ्ते भर के लिए टूर पर गये हुए थे। अभी उसकी शादी को केवल तीन माह ही गुजरे थे। रात को सोने से पहले वो अलार्म लगाना कभी नहीं भूलती, क्योंकि जरा भी उठने में देर हुई नहीं कि … Read more

पल में रंग बदलते लोग – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

बस कीजिए मांजी बहुत हुआ गर्भवती नैन्सी सासूमां भावना जी की रोज रोज की किचकिच से तंग आ चुकी थी । पोता ही चाहिए पोता ही चाहिए बस जब देखो तब एक ही रट लगाए रहती आज जैसे ही उन्होंने पोते की रट लगाई पोता ये पोता वो वंश चलेगा तो पोते से ही। नैन्सी … Read more

बेटियां पराई होकर भी अपनी होती है – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

रमा देवी और कैलाश जी दोपहर बाद घर के सामने बने पार्क में टहलने निकले तभी रमादेवी लड़खड़ाती गिरने ही वाली थी अगर कैलाश जी ने आगे बढ़कर उनको तुरंत थामा न होता। रमा जी बोली इतनी फिसलन है की आज आप ने थामा न होता तो हाथ या पैर में से कुछ टूट ही … Read more

रिश्ते भावनाओं से निभाये जाते हैं – डॉ बीना कुण्डलिया 

आज बेला जी भीतर से आनंदित आँगन में बैठी गुनगुना रही उनकी बहु माया रसोईघर में व्यस्त तभी फोन की घंटी घनघनाती है। बहु माया दौड़कर फोन उठाती है… हाँ,हाँ क्यों नहीं कैसी  बात करती हो । जरूर आओ मानसी इसमें पूछने वाली क्या बात हुई भला ? तुम्हारा ही घर है जब मर्जी चली … Read more

 मुझे अधिकार आता है लेना – डॉ बीना कुण्डलिया  : Moral Stories in Hindi

खट खट खट दरवाजे पर जोरों से होती आवाज जैसे ही राधा ने दरवाजा खोला पति सुनील खड़ा था। राधा को देखते ही गिड़गिड़ाने लगा मुझे माफ कर दो राधा मैं बहुत शर्मिन्दा हूँ  सुबह का भुला अगर शाम को घर वापस आ जाये तो उसे भुला नहीं कहते ।अच्छा बहुत बढ़िया इसका मतलब सुबह … Read more

 लालच के दलदल : “मातृ देवो भव” : Moral Stories in Hindi

अथाह अचल सम्पत्ति की मालकिन प्रभावती देवी आज वृद्धा आश्रम के बगीचे में बैठी सामने खड़ी ऊँची ऊँची दीवारों को एकटक घन्टों ताकती रही जिन दीवारों के उस पार देखना सम्भव ही नहीं था। वैसे भी उस पार देखने की जरूरत ही क्या है..? यह वृद्धा आश्रम अच्छा संसाधन जो सुरक्षित, सहायक और सामाजिक रूप … Read more

अहंकार में रहना – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

मम्मा…मम्मा  सुनो तो मुझे वो रंग बिरंगी टाॅफी खानी है…जो सामने फुटपाथ पर पान की दुकान पर रखी थी । बंटी, माँ के साथ स्कूल जाते वक्त उन्हें देखकर खाने के लिए मचलने लगा…शायद वो उनका स्वाद चख चुका था तभी दुबारा खाने को इतना लालायित नजर आ रहा था ।  मम्मा ऽऽ ये बहुत … Read more

जहां चाह वहीं राह – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

 राधा ओ राधा …..अरी कहां मर गई, काम की न काज की… । सौतेली मां की आवाज सुनकर राधा हड़बड़ाईं किताब एक तरफ रखकर सीधे रसोईघर में घुस गई माँ के गुजरने के बाद सौतेली माँ ने इसी शर्त में पढ़ने की इजाजत दी थी घर के सारे काम यथा समय उसके द्वारा निपटा दिये … Read more

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