बड़ी बहू – अयोध्याप्रसाद उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

मीनाक्षी के कानों में अब भी वे ही शब्द गूंज रहे हैं — ‘ अंतर्जातीय विवाह ‘। इससे वह बहुत ही परेशान है। अन्यमनस्क जैसी रहने लगी है।मानो जीवन से वैराग्य ले लिया हो। उसकी दिनचर्या बिलकुल बदली बदली हुई सी। उसकी ऐसी मनोदशाओं को देख देख गोपाल आश्चर्य में पड़ गये थे। उनकी समझ … Read more

कब तक तुम्हारा खर्चा उठाऊँ – अयोध्याप्रसाद उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

“सबका करें भला भगवान। सबको रखें खुशहाल और धनवान।” इन्हीं दोनों वाक्यों को सर्वेश सामने वाली दीवार पर टंगे भगवान शिव के चित्र के समक्ष हाथों को जोड़कर दुहराये जा रहा था । अभी सुबह के सात बजे होंगे। फागुन का महीना था। मौसम सुहाना था। मंद मंद हवा बह रही थी। जो खिड़कियों से … Read more

“मोहताज” – अयोध्या प्रसाद उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

जानती हो उस दिन मेरा मन कचोट कर रह गया था। मैंने अपनी पूरी जिंदगी उसके दरवाजे पर ही बीता दिया लेकिन उसे तनिक भी लिहाज नहीं। बिना लाग लपेट के कह दिया था कि–” मैंने तुम्हारे परिवार का ठेका लिया है क्या? तुम अपने लड़के को पढ़ाओ या मत पढ़ाओ उससे मेरा क्या लेना … Read more

” बहुरानी ” – अयोध्याप्रसाद उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

प्रमोद का रिटायरमेंट हो गया था। पत्नी रंजना की सेवा अभी तीन साल शेष थी। वह ग्राम सेविका के पद पर गांँव में ही कार्यरत थी। एक ही लड़का विनोद जो पटना सचिवालय के शिक्षा विभाग में  पदाधिकारी था।  उसकी दादी प्रेमशीला उसे बहुत मानती थी। बार बार यही कहती ” मैं अपने विनोद की … Read more

अपनों का साथ – अयोध्या प्रसाद उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

किसी के पास बहुत धन-दौलत हो जाय उससे कुछ भी नहीं होता जबकि उसके साथ दिल भी न हो ताकि आवश्यकतानुसार मौके पर उसका सदुपयोग कर सके। धनंजय एक ऐसा ही व्यक्ति था। यद्यपि वह प्रोफेसर था फिर भी वह क्यों इतना कंजूस हो गया था? कुछ लोगों का कहना था कि उसकी पत्नी उससे … Read more

सौभाग्यवती – अयोध्याप्रसाद उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

लीला की शादी में शामिल होने वालों की संख्या पचास के लगभग रही होगी। परमानंद एक सरकारी अधिकारी होते हुए भी किसी तरह से अपने पदाधिकार का दुरुपयोग नहीं किया था। मां वंदना भी एक योग्य और कुशल गृहिणी के साथ साथ एक विद्यालय में अध्यापिका भी थी। वह भी एक उदार और साहसी महिला … Read more

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माया-मोह – अयोध्याप्रसाद उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

साक्षी इंटर की परीक्षा पास करके इंजीनियरिंग में दाखिला के लिए जेईई मेंस की परीक्षा दे चुकी थी। परीक्षा परिणाम घोषित होना बाकी था।उसका इंतज़ार किया जा रहा था। इसी बीच जून के महीने में उसका परिणाम घोषित कर दिया गया। साक्षी उत्तीर्ण हो गयी। नामांकन से पहले काउंसलिंग की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। … Read more

सुख और दुख – अयोध्याप्रसाद उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

कमली अपनी बेटी जमुनी को जीवन जीने का तरीका बता रही थी —-” तुम सुबह सुबह सो कर जाग जाओ। परमात्मा का स्मरण करो। फिर दिनचर्या से निवृत्त होकर अपने काम में लग जाओ। पढ़ने जाना है तो स्कूल या फिर कालेज जाओ। नौकरी है तो फिर नौकरी के लिए जाओ। लेकिन घर से बाहर … Read more

घर वापसी – अयोध्याप्रसाद उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

“इन दोनों ने नाकों दम कर दिया है। दुनिया क्या कहेगी? कहती रहे। मैं किसी से कुछ कहती हूं क्या? अपनी परेशानियों को तो मैं ही न जानती हूं।दूसरा क्या जाने? जीना हराम कर दिया है बूढ़े और बुढ़िया ने। एक वो हैं जो कुछ भी बोलते ही नहीं। मुझे ही देख लेना कह कर … Read more

आत्मसम्मान – अयोध्याप्रसाद उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

सुबह और शाम, सुख और दुख, हर्ष और विषाद, करुणा और दया, ईर्ष्या और प्रेम मानव जीवन में पाये जाने वाले ऐसे भाव हैं जो चाहकर भी अलग नहीं किये जा सकते। इनके सहयोग से ही स्वाभिमान और अभिमान का अभ्युदय होता है जो किसी के व्यक्तित्व को निखारने और कुचलने का कारण बन जाता … Read more

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