मुझे संयुक्त परिवार में शादी नहीं करनी। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

मानसी, आज शाम को तुझे लड़के वाले देखने आ रहे हैं, कॉलेज से जल्दी आ जाना, मै तो कह रही हूं कि तू आज कॉलेज ही मत जा, ताकि अच्छे से उनके आने से पहले ही तैयार हो सकें और फिर बाकी काम भी तो होते हैं, उनमें भी हाथ बंटा देगी, दादी ने कहा … Read more

भाई, मैं तेरी तरह स्वार्थी नहीं हूं। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

अम्मा बहुत बीमार है, आप आ जाओ, आपको ही दिन-रात याद करती है, मीना ने अपनी ननद को कहा तो शोभा का मन पहले चिंता से फिर कड़वाहट से भर गया, उसे अपनी मां से मिलने का मन था, लेकिन भाभी के व्यवहार से वो परेशान ही रहती थी। अभी अम्मा बीमार है तो पड़ौसी … Read more

झूठी दिखावे की जिन्दगी – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

हम इस एनीवरसरी पर बड़ा वाला टीवी ड्राइंग रूम के लिए लेंगे, अतुल ने जैसे ही कहा तो निशा को आश्चर्य हुआ। अतुल, ‘घर में वैसे ही दो टीवी पहले से है, एक हमारे कमरे में और एक बाबूजी के कमरे में, फिर और एक टीवी लेकर क्या करना है? वैसे भी टीवी इतना देखता … Read more

मां, मै अब आपके साथ नहीं रहूंगा। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

रोहिणी यहां बाहर क्यों बैठी हो? अंदर चलो बहुत रात हो गई है, इधर बॉलकोनी में बैठे-बैठे रात गुजार दोगी क्या? कमला जी ने अपनी बेटी को उलाहना देते हुए उसका हाथ पकड़ा और अंदर कमरे में ले आई। रोहिणी मां का स्पर्श पाते ही पिघल गई और उनके सीने से लग गई, बस मां … Read more

आशीर्वाद ही सबसे बड़ा उपहार है। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

सुबह से घर में चहल-पहल थी, वंदना जी घर की साफ-सफाई करवाने में लगी थी, अखिलेश जी फूल मालाओं और बाकी की व्यवस्था देख रहे थे, उनका बेटा नवीन खाना-पीना मंगवाने के लिए लगातार फोन पर था, और बहू केतकी नन्ही सी बेटी को मातृत्व के स्नेह से सींच रही थी। अभी कुछ दिनों पहले … Read more

बहू से तो हमेशा का स्नेह का बंधन होता है। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

शिखा तुम यहां धूप में क्यों बैठी हो? नई नवेली बहू ने घर से बाहर कर दिया क्या? देखो तो भला इस समय कौन इस तरह पार्क में बैठता है, घर में दस काम होते हैं, अभी तो यहां कोई सहेली भी नहीं है, जिसके साथ बैठकर गप्पे लड़ा सकें, मनिता जी ने हंसते हुए … Read more

ननद रानी अभी नासमझ है। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

शुचि का स्वर थोड़ा तेज हो रहा था, वो अपनी गलती मानने को तैयार ही नहीं थी, आखिर घर की बेटी होकर कैसे घर की बहू से हार मान लें, बहू तो अभी कुछ महीनों पहले आई थी और वो तो यही जन्मी, पली बढ़ी, और इस घर में सालों से उसका ही वर्चस्व रहा … Read more

बहू सिर्फ तेरी ननद ही नहीं, मेरी बेटी भी आई है। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

बहू, कल सुबह बहुत काम रहेगा, कल तेरी ननद आ रही है, थोड़ा समय से पहले उठ जाना ताकि तन्वी के आने तक सारा काम हो जायेगा, तो हम आराम से साथ में बैठ जायेंगे, ये कहकर साधना जी अपने कमरे में चली आई। नेहा भी सोने जा रही थी, पर अब उसे समझ नहीं … Read more

आत्मसम्मान के साथ मायके आऊंगी। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

अरे!! ये क्या अच्छा भला घर छोड़कर मायके में आकर बैठ गई है, कुछ शर्म भी है या नहीं, बेटी शादी के बाद ससुराल में ही अच्छी लगती है, इस तरह मायके में रहना शोभा नहीं देता है, फिर मायके वाले कब तक तेरा बोझ उठायेंगे? चाची ने तंज कसा और चली गई। सुधा निशब्द … Read more

बड़ी बहू : Moral Stories in Hindi

बड़ी बहू…..बड़ी बहू….. ये आवाज सुनते ही राशि अपने हाथ का काम छोड़कर आंगन में बैठी अम्मा की ओर दौड़ी जो सब्जी वाले से सब्जियां ले रही थी। उसे देखते ही अम्मा चिल्लाई, ‘ थोड़ा और देरी से आ जाती, कब से सास चिल्ला रही है, पर तुझे तो परवाह ही नहीं है, कहां रह … Read more

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