वह भी घर की इज्जत है – अर्चना कोहली ‘अर्चि’ : Moral Stories in Hindi

“क्या ब्यूटी है यार। नज़रें ही नहीं हटती। पटाखा है पटाखा।  कितने समय बाद कॉलेज में कोई रौनक आई है। लगता है भगवान ने इसे बड़ी फुरसत में  बनाया है। सच कहते हैं, असली सुंदरता तो गाँव में ही बसती  है। चाहे कुदरत हो या लड़की।” रोहित ने आहें भरते हुए मोहित से कहा। “तू … Read more

मुझे माफ कर दो – अर्चना कोहली ‘अर्चि : Moral Stories in Hindi

“पापा आपको याद है न, शनिवार को मेरे कॉलेज का वार्षिक उत्सव है। मैंने भी लघुनाटिका में भाग लिया है। आप समय पर पहुँच जाना और हाँ उसके लिए आप नीले रंग का सूट ही पहनना । उसमें आप बहुत स्मार्ट लगते हैं।” तुषार ने पिता प्रकाश से कहा। “मस्का।” प्रकाश ने हँसते हुए कहा।    … Read more

मुझे माफ कर दो – अर्चना कोहली ‘अर्चि’ : Moral Stories in Hindi

“पापा आपको याद है न, शनिवार को मेरे कॉलेज का वार्षिक उत्सव है। मैंने भी लघुनाटिका में भाग लिया है। आप समय पर पहुँच जाना और हाँ उसके लिए आप नीले रंग का सूट पहनना । उसमें आप बहुत स्मार्ट लगते हैं।” तुषार ने पिता प्रकाश से कहा। “मस्का।” प्रकाश ने हँसते हुए कहा।    “सच … Read more

मन का रिश्ता – अर्चना कोहली ‘अर्चि : Moral Stories in Hindi

“रोहन बेटा आज तुमने आने में बहुत देर कर दी। सुबह से कितनी बार मैं मैनेजर साहब से तुम्हारे और मानसी बिटिया के बारे में पूछ चुकी हूँ। मुझे तो लगा था, आज तुम नहीं आओगे। मेरे दोनों बेटों की तरह तुमने भी मुझे अकेला छोड़ दिया।” आँखों में आँसू भरकर रमादेवी ने कहा। “ऐसा … Read more

तीस साल की तो हो गई तेरी बेटी। कब तक घर में बिठाए रखोगी – अर्चना कोहली “अर्चि” : Moral Stories in Hindi

आभा के जन्म के समय से ही अनामिका ने उसके भविष्य को लेकर कई सपने देखे थे। उसे शिक्षा और आत्मनिर्भरता की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया था। अनामिका ने हमेशा उसे यह सिखाया कि एक महिला का आत्मसम्मान और स्वाभिमान सबसे महत्वपूर्ण है। वह जानती थी कि एक मां होने के नाते … Read more

क्या मेरा कोई हक नहीं – अर्चना कोहली अर्चि  : Moral Stories in Hindi

“कहाँ खोई हो नीलिमा, कितनी आवाजें दीं, पर तुमने कोई उत्तर ही नहीं दिया। कई दिनों से देख रहा हूँ, तुम्हारा चेहरा भी उतरा- उतरा है। कोई बात है क्या?” सुजीत ने नीलिमा से पूछा। “ऐसी तो कोई बात नहीं है। आजकल ऑफिस में काम बढ़ गया है, इसलिए जल्दी थक जाती हूँ।”   “क्यों झूठ … Read more

आईना – अर्चना कोहली ‘अर्चि’  : Moral Stories in Hindi

शाम चार से छह बजे तक महेश जी दुकान बंद करते हैं। आज दुकान से आकर लंच करने के बाद वाशबेसिन में हाथ धो ही रहे थे कि कॉलबेल बजी। महेश ने तौलिए से हाथ पोंछ कर दरवाज़ा खोला तो भैया-भाभी थे। “अरे, भैया-भाभी आप अचानक! आज इतने सालों बाद मेरी याद कैसे आ गई। … Read more

कलंक की आँच – अर्चना कोहली ‘अर्चि’ : Moral Stories in Hindi

“इस बीना की यह आदत बहुत ही खराब है। जब मन किया घर बैठ जाती है। कभी फोन कर देती है तो कभी फोन स्विच ऑफ करके चुपचाप बैठ जाती है एकाध महीने को छोड़ दें तो हर महीने सात-आठ छुट्टी तो पक्का होती ही हैं। काम तो बहुत अच्छा करती है, इसलिए इतना सहन … Read more

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