सरप्राइज़ – अपर्णा गर्ग : Moral Stories in Hindi

मुझे अचानक से घर पर देखकर भैया और मां कितने खुश होंगे, मां का हंसता चेहरा, उनकी आंखों की चमक, सोच- सोचकर मीता मन ही मन उत्साहित हो रही थी। जैसे बचपन में चोर पुलिस का खेल खेलते हुए पीछे से धप्पा मारते थे, मैं भी भैया के साथ इस बार ऐसा ही करूंगी। बचपन … Read more

पश्चाताप – अपर्णा गर्ग : Moral Stories in Hindi

कमरे की छत से पानी टपक रहा था, ज्योति कभी एक तरफ बर्तन रखती, तो कभी दूसरी ओर… न तो बारिश रूक रही थी और न ही उसके पास और बर्तन बचे थे, जिसे वो टपकते हुए पानी के नीचे लगा दे। हे भगवान! अब तो रहम करो, कब तक बरसोगे। ऐसा लग रहा हैं … Read more

टका सा मुंह लेकर रह जाना – अपर्णा गर्ग : Moral Stories in Hindi

सोहम अपने दोस्तों के साथ गली के मोड़ पर खड़े होकर लगातार बाइक का हॉर्न बजाता रहा, “नव्या अपने छोटे भाई का हाथ कसकर पकड़ते हुए बिना इधरउधर देखे, तेज कदमों से घर की ओर जाने लगी।” क्या यार, इतनी मेहनत करने का… आधा घंटे तक तो इस चिलचिलाती धूप में खड़े, इंतजार करते रहे … Read more

सरप्राइज़ – अपर्णा गर्ग : Moral Stories in Hindi

मुझे अचानक से घर पर देखकर भैया और मां कितने खुश होंगे, मां का हंसता चेहरा, उनकी आंखों की चमक, सोच- सोचकर मीता मन ही मन उत्साहित हो रही थी। जैसे बचपन में चोर पुलिस का खेल खेलते हुए पीछे से धप्पा मारते थे, मैं भी भैया के साथ इस बार ऐसा ही करूंगी। बचपन … Read more

स्वार्थ – अपर्णा गर्ग : Moral Stories in Hindi

आज तो बस हद हो गई, मां से अब बात करनी ही पड़ेगी। भाभी रोज किसी न किसी बहाने से मायके जाती रहती हैं और उनके बदले घर का सारा काम मुझे ही निबटाना पड़ता हैं,”पारुल बर्तन साफ करते करते खुद से बड़बड़ा रही थी।” जैसे ही घड़ी में ग्यारह बजे…दीक्षा, सुनीता जी से इजाजत … Read more

एक जैसा दर्द – अपर्णा गर्ग : Moral Stories in Hindi

क्या हुआ …आज सुबह-सुबह इतना मधुर संगीत क्यों चला दिया? अभी तो आठ भी नहीं बजे… सुधीर का इतना ही कहना था कि रसोई में बरतनों की आवाज और तेज हो गई। हो गई सुबह काली… सुबह नहीं पापा, आज का पूरा दिन ही काला हो गया है। आज मम्मी की मीटिंग है, उन्हें आठ … Read more

आखिरी फैसला – अपर्णा गर्ग : Moral Stories in Hindi

अरी करमजली कहां रह गई, सूरज सिर पर चढ़ने को तैयार बैठा हैं, और तूने मुझे अभी तक चाय नहीं दी। तेरा बस चले तो मुझे भूखा ही मार दे। अभी सात भी नहीं बजे और तुम्हारी मां ने रोज की तरह चिल्लाना शुरू कर दिया। मैं भी क्या क्या करूं…सुबह पहले पानी गरम करो, … Read more

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