“भाभीजी का स्पेस स्टेशन” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

   आज के स्त्री विरोधी युग में सुनीता विलियम्स  ‘अंतरिक्ष परी’  जब से आसमान में अपना परचम लहरा कर वापस लौटी है  तब से खासकर भारत की महिलाओं के बीच क्रांति छा गई है। चारो तरफ महिलाओं के महिमा मंडन का डंका बज रहा है।  घर -घर में हर माँ बाप अपनी बेटियों को नसीहते दे … Read more

स्नेह का बंधन – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

“माई तू मेरे माथे पर अपना हाथ रख और खा मेरी कसम कि तू अबसे खाने के वक़्त नहीं रोयेगी।”  पटिया पर लेटी माई को उसने  सहारा देकर उठाया और प्यार से बोला-“देख तो मैंने तेरे लिए ही आटे का हलूआ बनाया है। थोड़ी जल गई है पर तुझे चबाने में तकलीफ होती है न … Read more

“छोटी ननद” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

सरिता जी की छोटी ननद अपने हाथ में एक सुन्दर सी थैली लेकर धीरे से घर में आई  और उन्हें इशारे से अपने पास बुलाकर बोलीं-” भाभी आप पहले इधर आइये … देखिये इसमें कुछ गहने हैं जो मैं अपने पसंद से बदलकर इला के लिए लाई हूँ। इसको जल्दी सम्भाल कर रख दीजिये।फिर हाथ … Read more

आत्मसम्मान – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

आज पति को गुजरे लगभग बीस दिन बीत चुके थे। नमिता दीवार पर लगे पति के तस्वीर को सुनी निगाहों से निहार रही थी। उसके दिल दिमाग में झंझावात  सी चल रही थी। उसने उन्हें बचाने के लिए किस- किस को फोन लगाया था नमिता को याद नहीं!!   कुछ बहुत करीबी लोगों ने जिनके वक्त … Read more

“घर वापसी ” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

” पिताजी…..!” आपने छोटे चाचा को शादी में नहीं बुलाया! कहीं भूल तो नहीं गये! शादी के लिस्ट में सबका नाम है सिर्फ उन्हीं का नहीं है….? पिताजी की तीखी आवाज आई ….”.हाँ नहीं…. बुलाया….. और उसे भूला भी नहीं!”   “अब जाओ जो काम  दिया गया है संभालो समझ गये न! काम  बहुत पड़ा है … Read more

“अनकहे दर्द” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

“हैलो ….हैलो… हैलो …  हैलो…  माँ… माँ …..माँ ?” “रिंग तो हुआ है और शायद कल भी रिंग हुआ था। किसी ने फोन उठाया भी था पर उधर से कोई आवाज नहीं आई । माँ ही होगी….! लेकिन… माँ रहती तो कुछ तो बोलती…!”    खुशी इधर लगभग महीने भर से अपनी माँ से बातें करने … Read more

“कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नहीं होता” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

आज ऑफिस से पिताजी जल्दी ही घर आ गये थे। पूरे घर में सन्नाटा पसरा हुआ था।  माँ ने पिताजी से कहा -” आप हाथ मूंह धोकर बैठ जाइए मैं खाना परोस रही हूँ।”  पिताजी ने मुझे पास बुलाकर पूछा-” बेटा दीदी के बिना तेरा दिल नहीं लग रहा है क्या?”  मैंने सिर हिला कर … Read more

“मैं अपने अहंकार में रिश्तों के महत्त्व को भूल गई थी” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

अहंकार एक ऐसा रोग है जिसपर बंदिशें न लगाई जाए तो उसकी वृद्धि चौगुनी होती चली जाती है ।चाहे इसका कारण धन हो, बल हो , या अत्यधिक ज्ञान का गुमान हो कुछ भी हो सकता है ।अहंकार का बुखार सिर पर चढ़ कर बोलता है। वह हमारी बुद्धि भ्रष्ट कर देता है और इसका … Read more

“बड़ा दिल” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा  : Moral Stories in Hindi

अपना और अपनी पत्नी का सामान दोनों हाथों में टाँगे मैं लंबी -लंबी डग भरते हुए चल रहा था। बीच-बीच में पलटकर देख भी ले रहा था कि विभा मेरे पीछे है या नहीं! कभी-कभी वह बहुत पीछे रह जाती थी तो मैं जोर से आवाज लगा रहा था….विभा…..विभा आ रही हो ना!  वह तुनक … Read more

वक़्त पर अपने ही काम आते हैं पड़ोसी नहीं – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा  : Moral Stories in Hindi

प्राइवेट नौकरी में सब कुछ है पैसा है, रुतबा है, शोहरत है। अगर नहीं है तो बस समय और सुकून नहीं है। आदमी अपने ही घर में पड़ोसी सा हो जाता है। लेकिन किया भी क्या जा सकता है जिंदगी जीने के लिए घर की चौखट लांघ कर परदेसी बनना ही पड़ता है। आज के … Read more

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