मन की सिलवटें- अंजू निगम: Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : ” प्रतापगढ़ वाले मामा का फोन आया था। उन्होंने नाके चौराहे के पास “जुगलकिशोर धर्मशाला” बुक करवा दी है।कल ही सबको वहाँ समान सहित पहुँचने को बोला है। अम्मा ने कहलवाया है कि तुम कब चलोगी वहाँ? ” गौरी ने पूरा ब्यौरा दिया।” मैं तो कल नहीं जा पाँऊगी। परसों … Read more

संस्कार – अंजू निगम

“माँ,आज ऊपर वाली आंटी ने फिर सारा कूड़ा हमारे घर के आगे कर दिया| मैं अभी जा सारा कूड़ा उनके घर के आगे फेंक आता हूँ|”प्रनव के स्वर में गुस्सा था|“फिर उनमें और तुम में क्या अंतर रहा|” ऐसा कह नेहा ने घर के आगे झांडू लगा सारा कूड़ा समेट दिया|प्रनव दसवीं कक्षा में है|पढ़ाई … Read more

तड़का – अंजू निगम

मैंने सास-ससूर दोनो को खाने पर बिठा दिया था| “हमे एक एक रोटी गरम दिया करो|ठंडी रोटी दाँतो से कटती नहीं|”सासूजी ने कहा|    मुझे भी इस बात का अहसास था और दोनो को गरम खाना ही मिले,इस बात का खास ध्यान रखती थी|   “बहू,सब्जी बहुत स्वाद बनी हैं|”ससूरजी ने कहा तो मेरा चेहरा खिल उठा| … Read more

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